एएनएम न्यूज़: ब्यूरो: परीक्षा दी, पैनल में नाम भी आया पर सालो बाद भी नौकरी नहीं मिली। राज्य में ऐसे कई मामले हो चुके हैं। हाल ही में इन मामलों की जांच शुरू होने के बाद से स्कूल सेवा आयोग के उच्च पदस्थ अधिकारियों के नाम एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। जहां तक भ्रष्टाचार का सवाल है तो यह स्पष्ट है कि घोटाले की जड़ें बहुत गहरी हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसे कई लोग हैं जिन्हें नौकरी मिली है लेकिन उनके नाम पैनल में नहीं हैं और जिन्होंने परीक्षा नहीं दी, उनको नियुक्ति कैसे ? इसके पीछे किसका हाँथ था? बग समिति की रिपोर्ट उन सवालों के जवाब ढूंढ निकला है, जो कोर्ट में दी गई।
एसएससी ग्रुप सी की नियुक्ति 16 मई 2016 को समाप्त हो गई। और 20 मई को एक साथ 361 लोगों की भर्ती की गई थी। सवाल उठता है कि पैनल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नियुक्ति क्यों की गई। 361 लोगों के नाम पैनल में नहीं थे और न ही उनके नाम प्रतीक्षा सूची में थे। परीक्षा में पास होने वालों के नाम पैनल में थे। तो उससे बाहर कैसे भर्ती किया गया? रिपोर्ट के अनुसार, एसएससी की सलाहकार समिति के तत्कालीन सदस्य शांति प्रसाद सिन्हा और सौमित्र सरकार ने पैनल को बदला था। शांति प्रसाद फर्जी सर्टिफिकेट बनाता था।
जिन्होंने परीक्षा नहीं दी उनके इंटरव्यू का प्रश्न ही नहीं उठता। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। 361 उम्मीदवारों में से 221 परीक्षा में शामिल नहीं हुए और बाकी पैनल में शामिल नहीं हुए और वे सीधे काउंसलिंग के लिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक शांतिप्रसाद ने ऐसी व्यवस्था की थी कि पैनल में उनके खुद के रैंक के अलावा और कोई देख ना पाए।
लिखित परीक्षा ओएमआर शीट के माध्यम से ली जाती है। उस ओएमआर शीट का नंबर बदलना किसी के लिए भी संभव नहीं है। तो रिपोर्ट का दावा है कि फर्जी नियुक्ति करने के लिए शीट को नष्ट कर दिया गया था। जिन लोगों के नाम रिपोर्ट में हैं उनके खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की गई है। साथ ही पर्थ चटर्जी द्वारा गठित कमेटी को भी अवैध बताया गया है।