स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: 30 मई यानी की वट सावित्री व्रत के दिन सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद सुहागन महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनें और श्रृंगार आदि करें। इसके बाद घर में बने मंदिर और वट वृक्ष के स्थान की सफाई करें। इसके बाद गंगाजल छिड़कर पूजा के स्थान को पवित्र करें। इसके बाद एक बांस वाली टोकरी में सप्तधान्य भर लें और उसमें बह्मा जी का मूर्ति को स्थापित कर दें। दूसरी टोकरी में भी सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित कर लें।
इसके बाद इस टोकरी को पहली टोकरी के बाएं में रखें और अब दोनों टोकरी को वट वृक्ष के नीचे लें जाकर स्थापित करें। इसी के साथ पेड़ में चावल के आटे का छाप या पीठा लगाया जाता है। इसके बाद पूजा के वक्त वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और उसकी चारों तरफ 7 बार कच्चा धागा लपेटते हैं। इसके पश्चात वट वृक्ष की भी परिक्रमा करते रहें। सबसे आखिर में वट वृक्ष के पत्तों की माला बनाकर पहनते हैं, फिर वट सावित्री व्रत कथा सुनें। इस दिन फल, अनाज, कपड़ा आदि एक टोकरी में रखकर किसी बाह्मण को दान करें।