स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: केंद्रीय जांच एजेंसियों की अति सक्रियता से राजनीतिक सिस्टम में बेचैनी है। ये बेचैनी एकतरफा नहीं, दोतरफा है। जो दल सत्ता में हैं, वे भी परेशान हैं तो दूसरी ओर विपक्ष, जिसके नेताओं के यहां आए दिन केंद्रीय जांच एजेंसियां दस्तक दे रही हैं, उनकी सांस फूले जा रही है। राजनीतिक जानकार कहते हैं, देखिये अभी '75' जैसे हालात तो नहीं हैं। सियासत के मौजूदा दौर में '2024' भाजपा की पहुंच में है, मगर फिर भी शीर्ष नेतृत्व कुछ उतावलेपन में नजर आ रहा है। एक तरफ 'ईडी' का वार है तो दूसरी ओर 'हर घर तिरंगा' की तैयारी जोरों पर है। यही वे दो बातें हैं जो सत्ताधारी नेताओं के उतावलेपन को जाहिर करती हैं।