स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: दुनिया की पहली महिला मुक्केबाज है मैरी कॉम, भारतीय खेल जगत का एक बड़ा नाम है।विश्व चैंपियनशिप से लेकर ओलंपिक मेडल तक विजेता बनने तक शायद ही ऐसी कोई उपलब्धि होगी। उन्होंने अब तक देश के नाम कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए हैं।
साल 2012 के ओलंपिक खेलों में मैरी कॉम ने कांस्य पदक जीता, जिसके साथ ही वो देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी। विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में मैरी कॉम की जगह ले पाना बेहद मुश्किल है। साल 2002 में विमेंस वर्ल्ड चैंपियनशिप की शुरुआत हुई। तब से हुए आठ संस्करणों में हर बार भारतीय खिलाड़ी पदक जीतकर आए हैं। पहली विश्व चैंपियनशिप के दौरान मैरी कॉम मात्र 18 साल की थी। उस वक्त उन्होंने साफ-सुथरी मुक्केबाजी शैली के 48 किलोग्राम वर्ग में अपनी जगह बनाई। फाइनल में वो तुर्की कि किक बॉक्सर हुलया साहिन से हार गईं। जिस कारण उन्हें रजत पदक से समझौता करना पड़ा।
साल 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2009 में भारत सरकार ने उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया। इसके बाद साल 2006 में मैरी को नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिर इसी साल मैरी कॉम को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। साल 2016 में उन्हें भारतीय संसद की उच्च सदम यैमा राज्यसभा की सदस्यता मिली। इतना सब कुछ हासिल करने के बाद साल 2014 में मैरी की जिंदगी पर बायोपिक बनाई गई। जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा उनका किरदार निभाते नजर आईं।