दुर्गा पूजा में पान का खास महत्‍व

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दुर्गा पूजा में पान का खास महत्‍व

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: सनातन धर्म में भगवान की पूजा करते समय नियमों का पालन करना अनिवार्य समझा जाता है। पूजा की सारी विधि एवं सामग्री होना भी जरूरी है। इसी पूजा सामग्री में से एक व‍िशेष वस्तु है ‘पान’।, पुराणों में बताया गया है कि ऋषि कात्यायन माता के भक्त थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। इन्होंने माता की तपस्या की और उनसे वरदान मांगा की आप मुझे पुत्री रूप में प्राप्त हों। इस बीच महिषासुर का अत्याचार बढ़ता जा रहा था। उसने देवताओं को स्वर्ग से भगा दिया था। देवताओं के क्रोध से एक तेज प्रकट हुआ जो कन्या रूप में था। उस तेज ने ऋषि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया। ऋषि जानते थे कि माता ही वरदान के कारण पुत्री रूप में उनके घर प्रकट हुई हैं। ऋषि ने देवी की प्रथम पूजा की और वह देवी कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी के प्रकट होने का मूल उद्देश्य महिषासुर का अंत था। आश्विन शुक्ल नवमी तिथि के दिन ऋषि द्वारा पूजित होने के बाद देवी ने कहा कि उनका प्राकट्य महिषासुर का अंत करने के लिए हुआ है। इसके बाद देवी ने नवमी और दशमी तिथि को महिषासुर से युद्ध किया। दशमी तिथि के दिन देवी ने शहद से भरे पान को खाकर महिषासुर का वध कर दिया। इसके बाद देवी कात्यायनी महिषासुर मर्दनी भी कहलायीं।