ऑनलाइन के माध्यम से अनुवादकों का राष्ट्रीय सम्मेलन

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Harmeet
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ऑनलाइन के माध्यम से अनुवादकों का राष्ट्रीय सम्मेलन

एएनएम न्यूज: हम सभी यह मानते हैं कि अनुवाद कार्य हेतु ही विश्व तथा देश भर की भाषाओं में एक सार्थक संपर्क स्थापित हो पाया है। कहने का आशय यह है कि विश्व साहित्य केवल अर्थपूर्ण अनुवाद हेतु प्रत्येक कोण-अनुकोण में रहते सभी पाठकों तक पहुँच पाया है। प्रत्येक भाषा की अपनी शैली एवं विशिष्टता होती है एवं अनुवाद करते समय इस दिशा में सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक भी है। सर्वोपरि, भारत जैसे बहुभाषिक देश में अनुवाद तथा अनुवादक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, देश के विभिन्न अनुवादकों का सदैव यही विचार रहा है। भारतीय अनुवाद साहित्य के सौजन्य से बारहवां राष्ट्रीय अनुवादक सम्मेलन ऑनलाइन के माध्यम से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं से अनूदित काव्यपाठ किया गया एवं 'अनुभव में अनुवादक' शीर्षक का आलोचना चक्र भी भारत के विभिन्न प्रांतों से जुड़े अनुवादकों को लेकर अनुष्ठित किया गया । भारतीय अनुवाद साहित्य के संयोजक शरत चन्द्र आचार्य समस्त आनुवादकों का सहर्ष अभिवादन करते हुए यह सूचित किया कि साहित्य की समृद्धि हेतु अनुष्ठान की ओर से आगामी वर्षों में विभिन्न राज्यों में भी अनुवाद साहित्य आधारित कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आजके कार्यक्रम में, प्रसिद्ध अनुवादिका डॉ. मंजू शर्मा महापात्र, असम से अनुवादक डॉ. हसीनस सुल्तान, कटक से अनिमा दास, स्वप्नलता बेहरा एवं रेभेन्शा विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. अंजुमन आरा ने अपनी अनूदित कविताओं का वाचन किया। 'अनुभव में अनुवादक' कार्यक्रम में डॉ. नमिता लक्ष्मी जगदेव ने तमिलनाडु से आमंत्रित प्रसिद्ध अनुवादिका डॉ. शिला बानू के साथ अनुवादन के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। इस सम्मेलन में असम, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, केरल आदि विभिन्न राज्यों के अनुवादक, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी अपना योगदान देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया । भारतीय अनुवाद साहित्य की ओर से प्रथम संकलित परिचय पुस्तक 'अनुसृजक' का द्वितीय संस्करण आगामी अप्रैल में प्रकाशित होने जा रहा है , इस अनुष्ठान के संयोजक शरत आचार्य ने यह सूचित किया।