INA ने अंग्रेजों को चटाई धूल

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Harmeet
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INA ने अंग्रेजों को चटाई धूल

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: मणिपुर की राजधानी इंफाल से करीब 35 किलोमीटर दूर विष्णुपुर जिले में मोइरांग नाम की जगह है। मार्च 1944 की एक सुबह कांगलेन नाम का एक बूढ़ा मोइरांग से करीब 5 किलोमीटर दूर त्रोंग्लोबी के जंगल में किसी काम से गया था, जहां वो अचानक जापानी सैनिकों से टकरा गया। हालांकि उसका डर तब खुशी में बदल गया, जब जापानी सेना के साथ उसे सुभाष चंद्र बोस की INA यानी आजाद हिंद फौज के सैनिक नजर आए।

मोइरांग इतिहास का वो पन्ना है, जहां आमने-सामने की जंग में पहली बार भारतीय सेना ने ब्रिटिश सेना को धूल चटा दी थी। ब्रिटिश सेना पीछे हटने के लिए मजबूर हो गई और जापानी सेना की मदद से INA ने मोइरांग और आस-पास के 1500 वर्ग मील, यानी करीब 3885 वर्ग किलोमीटर के इलाके को आजाद करा लिया था। हालांकि खुद सुभाष चंद्र बोस ने मोइरांग की धरती पर कभी कदम नहीं रखा था।

जब मैं इंफाल से मोइरांग की तरफ ट्रैवल करता हूं, तो हरे-भरे गांव और पहाड़ियों से गुजरते हुए लोक्तक झील से घिरे इतिहास के एक टुकड़े में दाखिल हो जाता हूं। मार्च 1944 से जुलाई 1944 के बीच जब यहां के लोग जापानी सेना और INA के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना से जंग लड़ रहे थे, उसी दौरान पूरे देश में अहिंसा को हथियार बनाकर आजादी का संघर्ष भी चल रहा था।