स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: पेट्रोज, डीजल और रसोई गैस के आसमान छूती कीमतों के बाद बेतहाशा फल फूल रहा है नकली डीजल और पेट्रोल का डिमांड। शिल्पांचल के कई जगहों पर पुलिस के साथ आँख मिचौली कर चल रहा है नकली डीजल और पेट्रोल बनाने के मिनी कारखाना। नकली डीजल और पेट्रोल से वाहनों के साथ-साथ लोगों के सेहत को भी हो सकता है भारी नुकसान।
शहर से गांवों तक बिजली व एलपीजी गैस की उपलब्धता से सब्सिडी पर उपभोक्ताओं को मिल रहे केरोसिन तेल पर काफी हद तक निर्भरता कम हो गई है। केरोसिन तेल की न के बराबर जरूरत पड़ने की वजह से उपभोक्ताओं के साथ जन वितरण विक्रेता व केरोसिन तेल डिपो वाले इसकी कालाबाजारी भी जमकर कर रहे हैं। सब्सिडी वाले केरोसिन तेल से अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नकली डीजल और पेट्रोल बनाया जा रहा है। पश्चिम बर्दवान जिले में नकली डीजल बनाने का कारोबार कई जगहों पर फल-फूल रहा है। पंप रेट से 15 से 20 रुपए दर कम होने के कारण नकली डीजल और पेट्रोल की खूब बिक्री हो रही है। नकली ईंधन के प्रयोग से वाहनों के साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।
कुछ लालची लोग थोड़े से पैसो की लालच में नकली डीजल और पेट्रोल खरीद रहे हैं। नकली डीजल और पेट्रोल बनाकर कुछ लोग 20 से 40 लीटर के गैलन में भरकर पंचगछिया, सीतला, गिरजामोड़, हटनरोड, उषाग्राम, मुर्गाशोल, बराकर, नियामतपुर, रुणारायनपुर, चितरंजन, कल्ला, बाईपास, बाराबनी, जामुड़िया, रानीगंज, अंडाल, पांडेश्वर बर्नपुर, चुरुलिया जैसे कई इलाके हैं जहाँ गैलनो में भरकर नकली डीजल और पेट्रोल जमकर सफ्लाई कर रहे हैं। कम पैसो में डीजल और पेट्रोल की होम डिलीवरी होने के कारण वाहन ड्राइवर भी इसकी जमकर खरीदारी कर रहे हैं।
कही कही ये लोग नकली डीजल और पेट्रोल को असली बोलकर बेच देते हैं और अच्छा खासा पैसा कमा लेते है।किरोसिन तेल 41 रुपए प्रति लीटर उपलब्द हो जाता है तो सल्फ्यूरिक एसिड 8 रुपए प्रति किलो उपलब्द हो जाता है। ऐसे में अगर नकली डीजल बनाने की हम बात करें तो वो प्रक्रिया बहुत ही आसान है। लागत भी काफी कम आती है। सबसे पहले केरोसिन का कलर चेंज किया जाता है। कलर चेंज करने के लिए धंधेबाज केरोसिन में सल्फ्यूरिक एसिड डालते हैं। इसके बाद बंद जार को कुछ देर तक हिलाया जाता है ताकि एसिड केरोसिन के साथ पूरी तरह से मिल जाए। इसके बाद केरोसिन का रंग सफेद हो जाता है। इसके बाद जार में मोटा मोबिल, लाल रंग का अक्स देने के लिए दो पुड़िया घरेलू सिंदूर मिलाकर खूब हिलाया जाता है। तब जाकर नकली डीजल बनकर तैयार हो जाता है। जिसके बाद असली और नकली डीजल का पहचान कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। बिना लैब टेस्ट के असली-नकली का भेद कर पाना काफी मुश्किल होता है।
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