स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय, छठ पूजा का त्यौहार भले ही कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रती स्नान आदि कर नये वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन लेते हैं। व्रती के भोजन करने के पश्चात ही घर के बाकि सदस्य भोजन करते हैं।
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना – कार्तिक शुक्ल पंचमी को पूरे दिन व्रत रखा जाता है व शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। इसे खरना कहा जाता है। इस दिन अन्न व जल ग्रहण किये बिना उपवास किया जाता है। शाम को चाव व गुड़ से खीर बनाकर खाया जाता है। नमक व चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। चावल का पिठ्ठा व घी लगी रोटी भी खाई प्रसाद के रूप में वितरीत की जाती है।
षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इसमें ठेकुआ विशेष होता है। कुछ स्थानों पर इसे टिकरी भी कहा जाता है। चावल के लड्डू भी बनाये जाते हैं। प्रसाद व फल लेकर बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं। टोकरी की पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिये तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।
सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा कर छठ पूजा संपन्न की जाती है।