सुतानाती, गोविंदपुर और कालिकाता, तीन क्षेत्रों ने मिलकर आज का कोलकाता बनाया है। रसगुल्लों को 19वीं शताब्दी में विदेशी बाजारों के लिए डिब्बाबंद किया जाता था।
एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: नबीन चंद्र दास ने 18वीं शताब्दी में तत्कालीन सुतानाती में अपनी छोटी सी दुकान में प्रयोग करते हुए रसगुल्ले का आविष्कार किया था। हलाकि शुरुआत में कोई रसगुल्ले का खरीदार नहीं था। सुतानाती, गोविंदपुर और कालिकाता, तीन क्षेत्रों ने मिलकर आज का कोलकाता बनाया है। रसगुल्लों को 19वीं शताब्दी में विदेशी बाजारों के लिए डिब्बाबंद किया जाता था। रसगुल्ले और उनसे बने उत्पाद रसमलाई स्वतंत्रता पूर्व के युग में भी विदेशियों, खासकर अंग्रेजों के बीच काफी लोकप्रिय थे। बंगाल के प्रसिद्ध हलवाई केसी दास के धीमान दास ने एएनएम न्यूज के एडिटर इन चीफ अभिजीत नंदी मजूमदार को रसगुल्ले से जुड़े दिलचस्प किस्से सुनाये।