महर्षि सद्गुरु सदाफल देव महाराज की 137 वीं जन्म जयंती

अपने जीवन काल में उन्होंने कई अध्यात्मिक पुस्तके लिखीं पूरे जीवन में वह कई चमत्कारिक घटनाएं किए। अपने शरीर के त्याग करने के पश्चात आकाशवाणी से वह अपने भक्तों को संबोधित किए। इन्हीं की आज हमलोग जन्म जयंती मना रहे हैं।  

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Jagganath Mondal
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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान के संस्थापक, स्वर्वेद ग्रंथ के रचयिता अमर हिमालय योगी महर्षि सद्गुरु सदाफल देवजी महाराज की 137 वीं जन्म जयंती समारोह  शुक्रवार को निंघा आश्रम में मनायी गयी। इस अवसर पर आश्रम परिसर में एक कुण्डीय विश्व शांति वैदिक हवन यज्ञ का आयोजन हुआ।

जिसे विधिवत वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ आश्रम के पुरोहित रमेश कुमार द्वारा कराया गया। हवन के पश्चात भंडारा आयोजित हुआ जिसमें 100 से ज्यादा शिष्यों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर विहंगम योग के राष्ट्रीय प्रचारक आलोक साहा ने बताया कि महर्षि सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज का 137 वर्ष पूर्व आज ही के दिन उत्तर प्रदेश बलिया के पकड़ी ग्राम में जन्म हुआ था। बचपन से ही ईश्वर के प्रति उनका अत्यधिक रुझान था। वे आध्यात्मिक क्रियाकलापों में लगे रहते थे। बड़े होने पर वह ज्ञान की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। ज्ञान प्राप्ति के लिए वे हिमालय की कंदराओं में जाकर 17 वर्षों तक घोर तपस्या किए। इसके पश्चात नित्यअनादि सद्गुरु कबीर साहब के रूप में में साक्षात दर्शन मिला तथा ब्रह्मविद्या के ज्ञान की प्राप्ति हुयी। इसके बाद उन्होंने एक लाख जीवों को मुक्त कराने का संकल्प लिया तथा ब्रह्मविद्या के प्रचार प्रसार में लग गए।  उन्होंने तपस्या में प्राप्त अपने अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर स्वर्वेद ग्रंथ की रचना की। वे आजादी की लड़ाई में भी सहयोग किए तथा जेल भी गए। अपने जीवन काल में उन्होंने कई अध्यात्मिक पुस्तके लिखीं पूरे जीवन में वह कई चमत्कारिक घटनाएं किए। अपने शरीर के त्याग करने के पश्चात आकाशवाणी से वह अपने भक्तों को संबोधित किए। इन्हीं की आज हमलोग जन्म जयंती मना रहे हैं।