दिवंगत वामपंथी श्रमिक नेता की पहली पुण्यतिथि पर एक स्मरण सभा का आयोजन

जब अमरजीत सिंह कौर यहां पर पहुंची तो फूलों का गुलदस्ता देकर उनको सम्मानित किया गया। इसके उपरांत सभागार के अंदर सभी आमंत्रित अतिथियों को पुष्पगुच्छ तथा उत्तरीय देकर सम्मानित किया गया। सभी विशिष्ट व्यक्तियों ने दिवंगत आरसी सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।

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Sneha Singh
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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: आज रानीगंज के लायंस सभागार में दिवंगत वामपंथी श्रमिक नेता और पूर्व सांसद आर सी सिंह की पहली पुण्यतिथि पर एक स्मरण सभा का आयोजन किया गया। इस सभा का आयोजन कोलियरी मजदूर सभा सीएमएस आसनसोल ए आई टी यू सी द्वारा किया गया था। इस सभा में ए आई टी यू सी की अखिल भारतीय महासचिव अमरजीत सिंह कौर, संगठन की पश्चिम बंगाल की संयुक्त महासचिव लीना चक्रवर्ती, कोलियरी मजदूर सभा के महासचिव गुरुदास चक्रवर्ती, अध्यक्ष प्रभात राय, सीएमएस के वर्किंग प्रेसिडेंट जी एस ओझा, सीएमएस के ज्वाइंट जेनरल सेक्रेटरी अनिल सिंह तथा शैलेंद्र सिंह सहित संगठन के तमाम सदस्य उपस्थित थे। 

जब अमरजीत सिंह कौर यहां पर पहुंची तो फूलों का गुलदस्ता देकर उनको सम्मानित किया गया। इसके उपरांत सभागार के अंदर सभी आमंत्रित अतिथियों को पुष्पगुच्छ तथा उत्तरीय देकर सम्मानित किया गया। सभी विशिष्ट व्यक्तियों ने दिवंगत आरसी सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। इसके उपरांत श्रमिक आंदोलन में आर सी सिंह के योगदान को याद किया गया। इस संदर्भ में अमरजीत सिंह कौर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि श्रमिक आंदोलन में आरसी सिंह का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने बेहद शुरुआती दौर से ही श्रमिक आंदोलन में अपना नाम लिखाया था एक कर्मी के रूप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की थी इस वजह से वह श्रमिकों के दर्द को अच्छी तरह से समझते थे इसलिए वह अपने शुरुआती दिनों से ही श्रमिक आंदोलन से जुड़ गए। 

जब खदानें निजी हाथों में हुआ करती थी तब श्रमिकों की बातों को सामने रखने के लिए श्रमिक नेताओं पर काफी अत्याचार और हमले हुआ करते थे आरसी सिंह को भी इन सब चीजों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह कभी श्रमिक हितों की रक्षा करने से विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जब 70 के दशक में ऐटक की मांग के अनुसार खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया तब श्रमिकों को कुछ अधिकार प्राप्त हुए लेकिन इसके बाद भी श्रमिकों के लिए आरसी सिंह का संघर्ष जारी रहा। यूं तो 1922 में ही ऐटक  के संघर्षों की वजह से माइन्स एक्ट बना 1923 में कंपनसेशन एक्ट बना लेकिन इन नियमों के विस्तार के लिए संगठन द्वारा अनवरत संघर्ष जारी रहा। जिसमें आरसी सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही आज इसी का परिणाम है कि खदान श्रमिकों को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा सुविधाएं मिल रहे हैं लेकिन संघर्ष अभी भी जारी है।

वहीं केंद्रीय सरकार पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति को जिस तरह से निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की जा रही है उससे देश का नुकसान होगा उन्होंने बताया कि एटक इसके खिलाफ आंदोलन करता रहा है और आगे भी उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।  उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकरण की वजह से पब्लिक सेक्टर काफी आगे बढ़ा लेकिन आज उल्टी गंगा बहाने की कोशिश की जा रही है। वही नई शिक्षा नीति को भी आड़े हाथों लेते हुए अमरजीत सिंह कौर ने कहा कि नई शिक्षा नीति की वजह से मध्यम वर्ग से नीचे के तबके के जो लोग हैं वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाएंगे यहां तक की मध्यम वर्ग के लिए भी उच्च शिक्षा काफी मुश्किल हो जाएगी। तकनीकी शिक्षा भी मध्यम वर्ग के सामर्थ्य से बाहर चली जाएगी। उन्होंने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि केंद्र की नई शिक्षा नीति को कुछ राज्यों द्वारा प्रश्रय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियां जन विरोधी हुई तो उनका संगठन उनका विरोध करेगा और जो संगठन वर्तमान में नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं ऐटक उनके साथ है। इसको लेकर अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको आंदोलन जीवी कहते हैं तो कहें, जनता के हित में आंदोलन करने से वह परहेज नहीं करेंगी।