टोनी आलम, एएनएम न्यूज: रानीगंज के 11 ग्राम पंचायत (graam panchaayat) से भाजपा प्रत्याशी राज्यों के आर्डर ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके लिए उन्होंने सीधे तौर पर सत्तापक्ष तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर आरोप लगाया। उनका कहना है कि वह एक दुकान में काम करके अपनी जीविका चलाते हैं लेकिन जब से उन्होंने पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भरा था उनको धमकाया जा रहा था और उनको अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन्हें धमकाया और डराया उनके सामने अपना नाम वापस लेने के अलावा और कोई चारा नहीं था। उन्होंने कहा कि माकपा उनके साथ खड़ी रही लेकिन वह एक गरीब इंसान हैं और उनको अपने प्राणों की आशंका हुई, इसलिए वह अपना नाम वापस लेने पर मजबूर हुए।
इस बारे में माकपा नेता हेमंत प्रभाकर (Hemant Prabhakar) का कहना है कि आज जिस तरह से उनके प्रत्याशी राज्यों के उड़ा को जबरदस्ती नाम वापस लेने पर मजबूर किया गया उसे साफ नजर आता है कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है। उन्होंने इस घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेता संदीप गोराई (Sandeep Gorai) को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर न सिर्फ राजू केवड़ा का अपहरण किया, बल्कि उन पर अत्याचार किया था कि वह अपना नाम वापस ले ले। उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जाएगी। वही आसनसोल दक्षिण ग्रामीण तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष संजीत मुखर्जी ने कहा कि माकपा द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से निराधार हैं और तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। वहीं टीम से नेता विनोद नोनिया ने कहा कि माकपा द्वारा जो आरोप लगाया जा रहा है वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। अगर उनको माकपा के किसी प्रत्याशी को डरा धमका कर नाम वापस करवाना होता तो वह विपक्षी पार्टियों के प्रत्याशियों को नामांकन करने ही क्यों देते।