डेंजर जॉन दिखा कर पेड़ो की कटाई, अनुमति कागजात में जानकारी गलत फिर भी कैसे मिली अनुमति?

बताया जा रहा है कि उक्त जगह के पीछे इसीएल एंव सामने पीडब्लूडी (PWD) की जमीन है, दोनों जमीन के बिच कुछ फिट जमीन को प्लोटिंग करके दुकान के लिए बेचा जा चूका है।

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Sneha Singh
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Danger John

राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़: सालानपुर प्रखंड (Salanpur block) में इन दिनों पेड़ो की कटाई आम बात हो गई है। जिसे जब मन पेड़ो की कटाई की अनुमति लेकर कटाई कर रहा है। बता दे कि देन्दुआ-कल्याणेश्वरी मार्ग पर स्थित इसीएल रीजनल अस्पताल (Ecl Regional Hospital) के निकट कुछ दिनों में पांच पेड़ (आम, चौड़रा, अर्जुन, ताल समेत अन्य) को काट दिया गया। बताया जा रहा है कि उक्त जगह के पीछे इसीएल एंव सामने पीडब्लूडी (PWD) की जमीन है, दोनों जमीन के बिच कुछ फिट जमीन को प्लोटिंग करके दुकान के लिए बेचा जा चूका है। ऐसे में उक्त जमीन पर पहले से कई पेड़ थे जिसे योजनाबद्ध तरीके से एवं मिलीभगत के साथ कटाई को अंजाम दिया गया। वही कटाई को लेकर पूछो तो जवाब में पेड़ कटाई की अनुमति के कागजात दिखाया जा रहा है जिसमें पेड़ो की कटाई की जगह गलत अंकित है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बिना उक्त जगह की जांच एंव निरीक्षण के पेड़ों की कटाई की अनुमति किस आधार पर दी गई है।

यहाँ यह भी सवाल यह उठ रहा है कि अनुमति देने वाला वन विभाग और पंचायत नियम को ताख पर रखकर कैसे अनुमति दे सकता है। क्या जाँच एंव निरीक्षण करना  अनिवार्य नहीं है। पेड़ो की कटाई के लिये पॉवर का दुरुपयोग कैसे किया जाता है आप यहाँ की स्थिति को देखकर खुद अनुभव कर सकते है। बताया जाता है कि पेड़ो की कटाई एंव जमीन के लिए पैसों की बंदरबांट की गयी, इतना ही नहीं जमीन को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। वही पुरे प्रकरण में इसीएल विभाग (ECL department) एंव पीडब्लूडी विभाग मौन क्यों है। बात अगर वन विभाग की करे तो सितम्बर महीने में जोर शोर से वन सप्ताह मानाने वाला विभाग अक्टूबर महीने के आने की एंव पेड़ो की कटाई की अनुमति देने का इंतजार कर रहा था क्या? तुरंत पेड़ काटने की अनुमति हाथों हाथ दे दी गयी। दो व्यक्तियों द्वारा अनुमति मांगी गयी थी, जिसमें एक में ताल और चौड़रा अंकित है, वही दुसरे में आम का पेड़ लिखा गया है, अगर तिन पेड़ की अनुमति थी तो फिर पांच पेड़ कैसे काट लिया गया। अनुमति की कागजात को देखे तो पूरा झोल साफ दिखायी दे रहा है। 

कागजात में अंकित स्थान का पता में कही भी देन्दुआ (Dendua) का नाम नही है, साथ ही पिन कॉड (pin code) भी गलत है ऐसे में बिना जाँच के ही कैसे वन अधिकारी ने पेड़ो की कटाई की अनुमति दी, यह सवाल खड़ा हो जाता है। कागजात में रूपनारायणपुर रेंज अधिकारी संजय पति, होदला बिट आफिसर रिंटू कहार एवं देन्दुआ ग्राम पंचायत प्रधान शुप्रकाश माझी द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। वही बात पेड़ो की कटाई के विषय में करे तो पेड़ो की कटाई का कारण (danger condition) खतरे की स्थिति बताया गया है, ऐसे में सवाल उठता है कि जिस स्थान पर पेड़ काटा गया वहां कोई घर ही नहीं है तो खतरे की बात कैसे हो गयी? अगर दुकान एंव घर बनाने के लिये पेड़ की कटाई की गई है तो उस कारण को कागजात पर अंकित क्यों नहीं किया गया। पुरे प्रकरण को देखे सब की मिलीभगत की बू साफ समझ आ रही है।

मामले को लेकर जिला वन अधिकारी बुद्धदेव मंडल ने कहा कि मामले की सुचना मिली है, जाँच की जा रही है। वही इस सन्दर्भ में देन्दुआ ग्राम पंचायत प्रधान शुप्रकाश माझी ने कहा कि वह निजी जमीन नाकड़ाजोडीय मौजा, जेएल नंबर 026, प्लाट नंबर 935 एवं 135 है, जिसे जमीन ब्रोकर द्वारा दुकान बनाने के लिए पराणगोपाल पाल एवं मनोतोश गोराई को बिक्री किया गया था, जिनके द्वारा पेड़ काटने की अनुमति मांगी गयी थी। वही बता दे कि उक्त जमीन के पास बबलू मंडल नामक व्यक्ति की भी जमीन है जहाँ पेड़ो की कटाई की गई है। उन्होंने भी अनुमति की कागजात दिखाई जिसमें बहुत सी जानकारी गलत है। ऐसे में एक समय में पूरे क्षेत्रों की पेड़ो की कटाई की अनुमति देने वाला वन विभाग अधिकारी की गलती है या कह ले कि समझी बुझी गलती है यह गहनता से जाँच का विषय है।