जहां दीवार है वहीं रास्ते का मास्टर......अब मिलेगा एक मिलियन अमेरिकी डॉलर

उनके इसी कार्य को देखते हुए उनको ग्लोबल टीचर प्राइज अवार्ड (Global Teacher Prize Award) 2023 के लिए विश्व के 130 देशों के शीर्ष 10 शिक्षकों में चयनित किया गया है।

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Sneha Singh
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Deepnarayan Naik

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: तिलका मांझी फ्री प्राइमरी स्कूल (Tilka Manjhi Free Primary School) के शिक्षक दीपनारायण नाईक (Deepnarayan Naik) को रास्ते का मास्टर कहा जाता है। वह पीछले कई वर्षों से जामुड़िया (jamuria) के आदिवासी समाज के लोगों के बीच शिक्षा की रौशनी फैला रहे हैं। उनके इसी कार्य को देखते हुए उनको ग्लोबल टीचर प्राइज अवार्ड (Global Teacher Prize Award) 2023 के लिए विश्व के 130 देशों के शीर्ष 10 शिक्षकों में चयनित किया गया है। अगर दीपनारायण नाईक को यह पुरस्कार मिलता है तो उनको एक मिलियन अमेरिकी डॉलर (US dollars) मिलेगा। इस संदर्भ में दीपनारायण नाईक ने कहा कि वह इस चीज से बेहद खुश हैं कि विश्व के 130 देशों के 10 शीर्ष शिक्षकों में उनको शुमार किया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत के प्रतिनिधि के रूप में वह पुरस्कार जीतने में सफल होंगे। 

उन्होंने बताया कि उनको रास्ते का मास्टर कहा जाता है क्योंकि उनका मानना है कि जहां दीवार है वहीं एक रास्ता है। इसका मतलब यह है कि वह जिन बस्तियों में बच्चों को शिक्षित करते हैं वहां के परिवारों के पास इतनी भी आर्थिक सुविधा नहीं है कि लेखन सामग्री खरीद सकें। इसलिए वह इन इलाकों में दीवारों को ही ब्लैक बोर्ड बना लेते हैं। रास्ते के मास्टर ने कहा कि वह बच्चों को शिक्षा देते हैं और यह बच्चे फिर अपने माता पिता तथा अपने दादा दादी को शिक्षित करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन बच्चों को वह पढ़ाते हैं वह फर्स्ट जेनरेशन लर्नर हैं। यानी उनके परिवार में उनसे पहले किसी को शिक्षा प्राप्त नहीं हुई थी। इसके साथ ही उन परिवारों के बड़ों के लिए भी उन्होंने कई योजनाएं शुरू की हैं । इनमे कांथा, स्टिच, ताल के पत्तों का काम और खजूर के पत्तों का काम सहित विभिन्न हस्तशिल्प के काम करवाए जाते हैं। 

उन्होंने बताया कि हाल ही में दुर्गा पूजा के दौरान इन इलाकों के लोगों द्वारा विभिन्न हस्तशिल्प के काम कोलकाता के विभिन्न पंडालों में किए गए थे। इतना ही नहीं वह इन इलाकों में कुपोषण महिला सशक्तिकरण पर्यावरण सुरक्षा सहित अन्य मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि विश्व स्तर पर उनके कार्य को स्वीकृति प्रदान की जा रही है। एक भारतवासी के तौर पर उनके लिए यह बहुत गर्व की बात है। वही जब हमने उनकी मां आभारणी नाईक से बात की तो स्वाभाविक रूप से उन्होंने अपने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को बचपन से कोई सुविधा नहीं मिली थी लेकिन न सिर्फ उन्होंने खुद को शिक्षित किया बल्कि आज वह एक ऐसे मकाम पे है जहां पूरे विश्व से उनको स्वीकृति मिल रही है।