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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: दोस्त हो या दुश्मन, सबके साथ 24 घंटे खड़े रहने का संदेश देता हुआ उखड़ा पंचायत (Ukhda Panchayat) के सीपीएम प्रत्याशी (CPM candidate) का अनोखा अभियामतदाताओं का ध्यान खींच रहा है। मतदाता भी मानते हैं कि खतरे की घड़ी में यह प्रत्याशी सबके साथ खड़े रहते हैं।
अंडाल (Andal) ब्लॉक के उखरा ग्राम पंचायत के 27 निर्वाचन क्षेत्रों में से सीपीआईएम (CPIM) ने 20 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। स्वर्णमय बनर्जी 21वीं संसद तेलीपारा से माकपा उम्मीदवार हैं। प्रत्याशी के समर्थन में 24 घंटे खड़े रहने वाले दोस्त या दुश्मन के दीवार लेखन वाले संदेश पर मतदाता ध्यान दे रहे हैं। स्वर्णमय बाबू (Swarnmoy Babu) सीपीएम पार्टी की शाखा संख्या पांच के सचिव हैं। वह तेलीपारा में 21वीं संसद के लिए उम्मीदवार हैं। वह युवावस्था से ही वामपंथी राजनीति से जुड़े रहे हैं। पिता परेशनाथ बनर्जी इलाके के जाने माने वामपंथी नेता थे। स्वर्णमय बाबू ने 16 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया। किशोरावस्था में ही उन्हें डीवाईएफआई की सदस्यता मिल गई। खांदरा कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह एसएफआई संगठन से जुड़े। 1992 में उन्हें पार्टी की सदस्यता मिली।
किशोरावस्था में, स्वर्णमय बाबु क्रिकेट खेला करते थे। क्षेत्र में उनकी क्रिकेटर के रूप में प्रतिष्ठा है। इसके अलावा, राजनीति से ऊपर असहाय लोगों के साथ खड़े होने की उनकी एक मिसाल है। कोरोना महामारी के दौरान वे उखड़ा गांव के सुभाष इंक्लाइन, जमाई पारा, माझ पारा में कई लोगों के साथ रहे। इस बार वे पंचायत चुनाव में पार्टी के निर्देश पर तेलीपारा से 21नंबर संसद के लिए उम्मीदवार बने हैं। उन्होंने दीवार लेखन के साथ-साथ घर-घर प्रचार भी शुरू कर दिया है। स्वर्णमय बाबू ने अभियान पर जोर दिया और पार्टी से संबंधों की परवाह किए बिना सभी को एक संदेश दिया। उनके इस अनोखे अभियान के तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा है।
क्षेत्र के निवासी भी मान रहे हैं कि दोस्त या दुश्मन के साथ खड़े होने का संदेश झूठ नहीं है। मोहल्लेवासी षष्ठी बाउरी, राजू बागड़ी और संजय बागड़ी ने कहा कि स्वर्णमय बाबु राजनीति से ऊपर उठकर सबके साथ खड़े रहे। बेटी की शादी, लड़के-लड़कियों की पढ़ाई, इलाज से जुड़े हर मामले में वह सबकी मदद करते हैं। इस संदर्भ में स्वर्णमय बाबू ने कहा कि वोट से जीत हो या हार, जीत या हार का फैसला तो मतदाता ही करेंगे। हालाँकि, मानवाधिकारों के मुद्दे पर मैं यथासंभव सभी के साथ खड़ा रहूँगा।