आजाद भारत में अपनी मातृभाषा में पढ़ाई-लिखाई करने के लिए अनशन करने की जरूरत!

उनकी मांग है कि इस कॉलेज में संथाली भाषा और ओलचिकी लिपि में स्नातक स्तर में पढ़ाई लिखाई शुरू की जाए।

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Ankita Kumari Jaiswara
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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में आज से दिषम आदिवासी गांवता की शाखा फाइट फॉर मदर टंग के बैनर तले अनिश्चितकालीन अनशन की शुरुआत की गई। उनकी मांग है कि इस कॉलेज में संथाली भाषा और ओलचिकी लिपि में स्नातक स्तर में पढ़ाई लिखाई शुरू की जाए। इस मुद्दे के समर्थन में पिछले 28 जून को एक ज्ञापन भी सौंपा गया था। लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए दिशम आदिवासी गांवता के प्रदेश पर्यवेक्षक भुवन मंडी ने बताया कि उनको समझ में नहीं आ रहा है कि इस कॉलेज के कुछ जनरल बॉडी मेंबर और टीआईसी इस मांग को पूरा क्यों नहीं होने दे रहे हैं। उनका कहना है कि काजी नजरूल विश्वविद्यालय विद्यासागर कॉलेज और कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों को लेकर एक टीम का गठन किया गया था जिन्होंने यहां पर इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार की थी कोलकाता में विकास भवन से बार-बार वह रिपोर्ट मांगी जा रही है लेकिन अभी तक वह रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि कौन है इसके पीछे जो आदिवासी समाज के इस मांग को पूरा नहीं होने दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह बड़े शर्म की बात है कि आजाद भारत में एक जाति को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई लिखाई करने के लिए अनशन करने की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से आदिवासी समाज की तरफ से यह मांग की जा रही है लेकिन इस कॉलेज के कुछ अधिकारियों के ना चाहने की वजह से आदिवासी समाज के विद्यार्थी इस बुनियादी मांग से वंचित रहने को मजबूर हैं।

उन्होंने कहा कि कॉलेज की तरफ से अब कहा जा रहा है कि कॉलेज के पास फंड नहीं है और आदिवासी समाज के विद्यार्थियों को अगर स्नातक स्तर पर संथाली भाषा और अलचीकी लिपि में पढ़ाई करनी है तो आर्थिक बोझ उनको उठाना होगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आदिवासी समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है ऐसे में उन परिवारों से आने वाले बच्चों के लिए पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार कहती है कि आदिवासी समाज के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इसमें कोई गलती नहीं है। विकास भवन की तरफ से बार-बार कॉलेज अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जा रही है लेकिन कॉलेज अधिकारी असली जानकारी विकास भवन को नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी समाज के इस जायज मांग को नहीं माना गया तो आने वाले समय में यह आंदोलन और तेज होगा। इस मौके पर यहां संगठन के राज्य सचिव रॉबिन सोरेन, जिला सचिव सुकु मुर्मु सहित इस संगठन के तमाम समर्थक उपस्थित थे।