टोनी आलम, एएनएम न्यूज : पांडवेश्वर के ईसीएल अन्तर्गत बंकोला क्षेत्र में तिलावनी कोलियरी का बहुत जल्द निजीकरण होने जा रहा है। (एमडीओ) माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर सिस्टम कुरियारि में शुरू होने जा रहा है। शायद यह पहली बार है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाली कोलियरी निजीकरण की राह पर है। मंगलवार को निजी कंपनी ईसीएल के तिलाबनी कोलियरी के चणक नंबर चार के एमडीओ का काम शुरू करने आई थी। शुरू होने से ठीक पहले, खदान के सभी श्रमिक संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण निजी कंपनी के अधिकारी काम शुरू न करने की हालत में वहां से चले गए। यहां सवाल यह उठ रहा है कि ईसीएल के अधिकारी गलत तरीके से इस कोलियरी के निजीकरण की राह पर चल रहे हैं। जहां इस कोलियरी का जीवन अभी भी करीब 60 साल बाकी है, वहां इसका निजीकरण क्यों किया जा रहा है? श्रमिक संगठन एचएमएस के बांकोला क्षेत्र सचिव मिंटू बनर्जी ने कहा, अगर कोलियरी का निजीकरण किया जाता है, तो न केवल कोलियरी श्रमिकों, बल्कि कोलियरी और आसपास के हजारों लोगों को अपनी आजीविका खोने का खतरा होगा। श्रमिक संगठनों के इस धरना कार्यक्रम में केकेएससी, आईएनटीटीयू के बांकोला क्षेत्र अध्यक्ष बलई बनर्जी, इंटक नेता कृष्णा राय सहित अन्य लोग मौजूद रहे। आज इस विरोध कार्यक्रम में बलाई बाबू ने कहा कि वे चाहते हैं कि कोलियरी के सभी मजदूर संगठन और आसपास के गांवों के लोग एक साथ आएं और ईसीएल के इस तरह के निजीकरण के रवैये का विरोध करें।
इस कोलियरी के बगल के कुमारडीही गांव के निवासी और छोटे व्यवसायी बिस्वजीत कर्मकार ने कहा कि जिस तरह से कोलियरी चलाई जा रही है, उसके कारण इस क्षेत्र की आयु लंबी होनी चाहिए। और इससे क्षेत्र में व्यवसाय भी रहेगा, और लोग भी । हालांकि, अगर निजीकरण किया जाता है, तो क्षेत्र की जीवन प्रत्याशा कम हो जाएगी और व्यवसाय मर जाएगा। ईसीएल कर्मियों का अन्यत्र तबादला हो सकता है। भले ही वह वित्तीय संकट में न पड़ें लेकिन कोलियरी समेत गांवों के हजारों मेहनतकश आर्थिक संकट में होंगे। क्योंकि कोलियरी इन गांवों का व्यवसायिक जीवन है। कोलियरी के बिना कोई व्यवसाय नहीं होगा और क्षेत्र श्मशान बन जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि उस वक्त क्या होगा। बिस्वजीत बाबू ने यह भी कहा कि ईसीएल अधिकारियों के इस तरह के रवैये के खिलाफ आसपास के सभी गांवों के लोगों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।