टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: इकरा औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न कारखानों के प्रदूषण के कारण क्षेत्र के लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में मंगलवार को दामोदरपुर फुटबॉल मैदान में जामुड़िया दामोदरपुर गांव समेत क्षेत्र के करीब सात से आठ गांवों के लोगों के साथ प्रेस वार्ता की गयी।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुरमा डांगा निवासी विजय हासदा ने कहा, ''हमारे पुर्वजों ने हमें इस इलाके में फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन दी है। बदले में क्षेत्र के युवाओं को काम दिया जाना चाहिए था, क्षेत्र का विकास होना चाहिए था। लेकिन इसके बदले मिला प्रदूषण, क्षेत्र के निर्दोष लोगों पर अत्याचार। उन्होंने कहा कि प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि घर रहने लायक नहीं रह गया है। बुखार, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, माइग्रेन, त्वचा रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से हर घर पीड़ित है। प्रदूषण के कारण तालाब के पानी में 1 इंच मोटी परत जमा हो रही है। खाना खाने पर ऐसा महसूस होता है जैसे खाने के साथ कुछ और भी चीज़ मुँह में जा रही है।
दामोदरपुर पूरबपाड़ा निवासी दयामय साहा ने कहा कि क्षेत्र में काम करने वाले बेरोजगार युवाओं का मासिक वेतन बहुत अधिक 7 हजार है जबकि राज्य के बाहर के श्रमिकों का वेतन 20 से 30 हजार है। आरोप है कि फैक्ट्री अधिकारियों ने इसका विरोध करने वालों को झूठे मुकदमे में फंसा दिया।
दामोदरपुर गांव निवासी बापी नुनिया ने बताया कि फैक्ट्री के प्रदूषण से इलाके में रहना मुश्किल हो गया है। जब प्रदूषण के खिलाफ फैक्ट्री अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो रात-रात भर प्रदूषण छोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि अभी फैक्ट्री में 300 टन की क्लीन मशीन लगाई गई है क्योंकि इतना प्रदूषण है, उसके बाद 900 टन की क्लीन मशीन लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि 900 टन की इस क्लीन मशीन को किसी भी तरह से लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अगर 300 टन की साफ़ मशीन में ये प्रदूषण फैलता है तो 900 टन की साफ़ मशीन में कितना प्रदूषण फैलेगा? इस इलाके में करीब 15 हजार लोग रहते हैं। इसकी लिखित शिकायत जिलाधिकारी, बीडीओ, विधायक से की गई है। अगर प्रशासन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करता है तो हम बड़े आंदोलन की राह पर चलेंगे। इस दिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपरोक्त वक्ताओं के अलावा गोतम हासदा, आनंद कोरा, सुकुमार हासदा और कई अन्य लोग शामिल हुए।