इंडिया पावर कारखाने के सामने धरना प्रदर्शन, किसके कहने पर हुआ ऐसा

इस मौके पर माकपा नेता तापस कबि ने कहा कि कंपनी में 2011 से पहले सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों के संतानों को नौकरी दी जाती थी लेकिन 2011 के बाद से सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी की संतान को नौकरी देना बंद कर दिया गया है।

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Sneha Singh
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India Power factory

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: जामुड़िया( jamuria) के शिवपुर इलाके में स्थित इंडिया पावर कारखाने (India Power factory) के सामने श्रमिक संगठन सीटू (CITU) की तरफ से धरना प्रदर्शन (Demonstration) किया गया। इस मौके पर माकपा नेता तापस कबि ने कहा कि कंपनी में 2011 से पहले सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों के संतानों को नौकरी दी जाती थी लेकिन 2011 के बाद से सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी की संतान को नौकरी देना बंद कर दिया गया है। उन्होंने सवाल किया है कि ऐसा किसके कहने पर किया गया है, प्रबंधन इसका जवाब दें। ठेका मजदूर को सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी का भुगतान तत्काल करना होगा और उन्होंने कहा कि प्रबंधन का रवैया ऐसे रहता है जैसे एक बार अगर कोई इस कंपनी से सेवानिवृत हो जाता है तो उसकी कोई जिम्मेदारी प्रबंधक नहीं लेता है। उन्होंने कहा कि कई बार इस बारे में प्रबंधन से बातचीत की गई है लेकिन प्रबंधन की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसी  साल जनवरी से लेकर सितंबर तक करीब चार बार प्रबंधन को इस मुद्दे पर चिट्ठियां लिखी गई है लेकिन प्रबंधन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, उल्टा उन्होंने यह जवाब दिया कि इस तरह की चिट्ठियां प्रबंधन को ना लिखी जाए या इस तरह का धरना प्रदर्शन ना किया जाए। 

पार्थो मुख़र्जी (Partho Mukherjee) ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में धरना प्रदर्शन करना और अपनी बात शांतिपूर्ण तरीके से विरोध के जरिए प्रबंधन तक पहुंचना हर नागरिक का अधिकार है यहां का प्रबंध क्या नागरिकों को इस अधिकार से भी वंचित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यहां के सेवानिवृत कर्मचारी की जिम्मेदारी प्रबंधन को लेनी होगी और यहां से सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों के संतानों को नौकरियां देनी होगी। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा के समय पावर कंपनी में ऐसा किसी तरह का विरोध नहीं करना चाहते जिससे लोगों को परेशानी हो लेकिन अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो दुर्गा पूजा के बाद बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा | इस मौके पर सुखविंदर सिंह, मंजूर आलम, अशोक रुईदास, खालिद अख्तर और सोहन रुईदास मौजूद थे।