अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया गुरु नानक साहेब जी के 555वें प्रकाश पर्व

गुरुद्वारा प्रागण में रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन कर समाजसेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। आयोजन में शिल्पांचल क्षेत्र की संगत ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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Ankita Kumari Jaiswara
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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़, सालानपुर: रूपनारायणपुर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरु नानक साहेब जी के 555वें प्रकाश पर्व को अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया। दो दिनों तक गुरुद्वारा प्रांगण में गुरबाणी पाठ, कीर्तन, लंगर और संगत की सेवा का आयोजन किया गया। रविवार के दिन के दीवान के पश्चात नगर कीर्तन का शुभारंभ हुआ। यह नगर कीर्तन रूपनारायणपुर गुरुद्वारा से आरंभ होकर मिहिजाम गुरुद्वारा तक गया। रास्ते में श्रद्धालुओं ने पांच प्यारों और संगत का बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया। नगर कीर्तन में स्वर्ण मंदिर (दरबार साहिब) का एक भव्य मॉडल तैयार किया गया था, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब जी का पवित्र स्वरूप स्थापित था। साथ ही सिख मार्शल आर्ट गतका का प्रदर्शन अमृतसर से आए शमशीर खालसा ग्रुप ने किया। उनके करतब श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। नगर कीर्तन के मार्ग में 24 नंबर मोड़ पर पंजाबी कल्चरल एसोसिएशन की ओर से गुरु महाराज की सवारी और संगत का भव्य स्वागत किया गया। गुरुद्वारा प्रागण में रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन कर समाजसेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। आयोजन में शिल्पांचल क्षेत्र की संगत ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में विशेष रूप से बराबानी विधायक सह आसनसोल मेयर विधान उपाध्याय, जिला परिषद कर्मअध्यक्ष मोहम्मद अरमान, समाजसेवी भोला सिंह ने भी उपस्थिति दर्ज की और गुरु महाराज का आशीर्वाद लिया।

रूपनारायणपुर और मिहिजाम गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समन्वय से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। गुरुद्वारा प्रधान जगजीत सिंह ने इस आयोजन की सफलता के लिए समर्पित सेवकों और संगत का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी का यह प्रकाश पर्व सभी समुदायों को एकता, प्रेम और मानवता का संदेश देता है। मिहिजाम गुरुद्वारा कमेटी के मुख्य सलाहकार और नगर कीर्तन के संयोजक तेजिंदर सिंह ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि समाज में आपसी भाईचारे और सौहार्द को भी बढ़ावा देते हैं।