रूपनारायणपुर टोल टैक्स प्लाजा वैध या अवैध ? (Video)

अब पूरे प्रकरण में जिला परिषद की भूमिका पर सवाल उठ रहा है कि आखिर 10 सालों तक जिला परिषद के पास क्यों जानकारी नही उपलब्ध थी और एक ही व्यक्ति या एक ही कंपनी 10 सालों से बिना टेंडर के टोल का संचालन कैसे कर सकता है?

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Jagganath Mondal
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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : बंगाल-झारखंड सीमा पर जिला परिषद द्वारा संचालित रूपनारायणपुर टोल टैक्स प्लाजा का बीते 10 सालों से बिना टेंडर ही संचालन पर सवाल उठ रहा है।

 

RTI से यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले 10 सालों से उक्त टूल के टेंडर सम्बंधित कोई भी जानकारी जिला परिषद के पास उपलब्ध नही है। आरोप है कि पिछले 10 सालों से एक ही एजेंसी टूल प्लाजा का संचालन कर रही है और जिसके पास जिला परिषद का करीब 1 करोड़ रुपयों से भी अधिक का बकाया है।

स्थानीय आरटीआई कर्ता गोवर्धन मंडल ने बताया कि लम्बे समय से वे टूल प्लाजा के संचालन एवं टेंडर को लेकर शिकायत करते आ रहे है। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर एक ही व्यक्ति या एक ही कंपनी इतने सालों तक टोल प्लाजा कैसे चला सकती है? इतने सालों तक कोई टेंडर क्यों नहीं हुआ? क्या इतने सालों के तक उक्त एजेंसी को एक्सटेंशन दिया जा रहा है ? उन्होंने कहा कि अगर टेंडर होगा तो दूसरों को भी मौका मिल सकता है। और इससे राज्य सरकार का राजस्व भी बढ़ सकता है। लेकिन बिना टेंडर के एक ही व्यक्ति को साल-दर-साल अनुमति क्यों दी जा रही है? आरटीआई के माध्यम से जानकारी मिली कि जिला परिषद के पास 2014 के बाद से नए टेंडर या नवीनीकरण की कोई जानकारी नहीं है। अगर मामले में जाँच नहीं हुई और न्याय नही मिला तो वे उच्च न्यायालय के पास जाएंगे एवं बड़े आंदोलन पर बैठेंगे। 

वही मामले में भाजपा के जिलाध्यक्ष बप्पा चटर्जी ने कहा कि राज्य में आज हर जगह भ्रष्टाचार है। एक जिला परिषद का टूल टैक्स प्लाजा जो पिछले 10 सालों से एक ही एजेंसी चला रही है। आखिर टेंडर नही किये जाने का क्या कारण है? आज राज्य में हर जगह टीएमसी की सत्ता है फिर भी अवैध रूप से चल रहा है टूल? और कोई कारवाई नही हो रही है। यह सरकार यही करती है।

दूसरी ओर कांग्रेस नेता प्रसंजीत पूइतांडी ने कहा कि टूल प्लाजा का संचालन कर्ता तृणमूल कांग्रेस का करीबी ही है। ऐसे कई भ्रष्टाचार का उदाहरण है राज्य में। मामले में तत्काल जाँच ओर टेंडर किया जाना चाहिये।

वही मामले में जिला परिषद सबधिपति बिस्वनाथ बाउरी ने कहा कि जिला के बंटवारे के बद से कोई जानकारी नही थी परंतु टूल से सम्बंधित जानकारी मिली हैं । हालांकि टेंडर नही किया गया है परंतु प्रति वर्ष एजेंसी से 10% बढ़ा कर राशि ली जाती है और प्रति माह राशि ली जाती हैं।  उन्होंने ने दावा किया कि करीब 1 करोड़ रुपयों का बकाया है एजेंसी पर।

मामले में स्थानीय विधायक बिधान उपाध्याय ने कहा कि टूल टेक्स के बिषय में जानकारी मिली है, चूंकि यह जिला परिषद का मामला है, इसलिए वे जानकारी लेकर ही कुछ बता पाएंगे साथ ही अगर कोई भ्रष्टाचार सामने आता है तो वे उच्च नेतृत्व को पूरी जानकारी देंगे। राज्य की मुख्यमंत्री ईमानदारी का प्रतीक है और राज्य में ऐसे कोई भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

जिला परिषद के संरक्षक वी शिवदासन दासू ने कहा कि पूरे मामले की जांच होगी क्यों, कैसे और किसकी सहयोग से एक ही एजेंसी पिछले 10 सालों से टूल प्लाजा संचालन कर रही है और इसके पीछे किसका हाथ है? क्योंकि उन्हें कई बार टूल संचालन को लेकर शिकायत मिली है। जांच में भ्रष्टाचार पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। मुझे जानकारी है कि उक्त एजेंसी के पास सरकार का बहुत रुपयों का बकाया है जिसको लेकर कोई बार नोटिस भी दिया गया है। 

अब पूरे प्रकरण में जिला परिषद की भूमिका पर सवाल उठ रहा है कि आखिर 10 सालों तक जिला परिषद के पास क्यों जानकारी नही उपलब्ध थी और एक ही व्यक्ति या एक ही कंपनी 10 सालों से बिना टेंडर के टोल का संचालन कैसे कर सकता है? क्या इतने सालों तक बिना टेंडर के साल दर साल विस्तार किया जा सकता है? कोई नया टेंडर क्यों नहीं होता? प्रथम टेंडर को छोड़कर प्रशासन के पास जानकारी नही? बिना टेंडर के टोल संचालन से एजेंसी ने सरकारी राजस्व का कर रही हानि? वही अब प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह देखना है यह पूरे मामले को लीपापोती कर छोड़ दिया जायेगा।