टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: आस्था का महान पर्व छठ (Chhath) की शुरुआत हो चुकी है। कल लौकी भात था आज खरना है। इस अवसर पर आसनसोल दक्षिण की विधायक अग्निमित्रा पॉल (Agnimitra Paul) आज जमुड़िया विधानसभा क्षेत्र के जमुड़िया थाना मोड़ अंतर्गत शांति नगर इलाके में पहुंची। यहां पर उन्होंने करीब 30 छठव्रति महिलाओं को घर -घर जाकर छठ पूजा (Chhath Puja) की सामग्री, तथा साड़ियां (sarees) प्रदान की। इस कार्यक्रम के दौरान राणा बनर्जी, सुब्रत घोषाल, मनोज सिंह सुनीता कायल, राहुल अग्रवाल और साधन माजि सहित तमाम भाजपा कार्यकर्ता समर्थक उपस्थित थे। इस मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए अग्निमित्रा पाल ने कहा कि यह उनकी खुशनसीबी है कि वह एक ऐसे जिले की निवासी हैं जहां पर दुर्गा पूजा, काली पूजा के साथ-साथ आस्था का महान पर्व छठ भी मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि छठ एक महान पर्व है जिसे लोग पूरी आस्था के साथ मनाते हैं। यह एक बेहद कठिन पर्व है जिसमें छठव्रति तकरीबन 48 घंटे निर्जला उपवास करती हैं। उन्होंने छठ मैया से सभी के लिए मंगल कामना की, इसके उपरांत तृणमूल कांग्रेस तथा राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि जो काम प्रशासन को करना चाहिए था उसका लेश मात्र काम भी प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है। छठ घाट की साफ सफाई नहीं की गई है, रास्तों की मरम्मत नहीं की गई है यहां तक की नालियां भी नहीं बनाई गई है। जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमारे राज्य को 200 वर्ष पीछे धकेल दिया है। पहले कहा जाता था कि बंगाल आज जो सोचता है पूरा भारत कल वह सोचता है लेकिन आज इस सरकार के शासनकाल में नौबत ऐसी आ गई है कि आज जो भारतवर्ष सोचता है बंगाल को सोचने में वह 500 वर्ष लग जाते हैं।
उन्होंने कहा कि एक अशुभ शक्ति इन दोनों बंगाल की सत्ता पर काबिज है और उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की की जल्द से जल्द बंगाल की जनता को इस अशुभ शक्ति से छुटकारा मिले। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता मंत्री सिर्फ इसी फिराक में रहते हैं कि किस तरह से अपनी जेब भरी जाए। इसके लिए वह हर प्रकार के गैर कानूनी तरीकों को भी अपने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी इस सरकार से बंगाल की जनता को मुक्ति मिलेगी उतना ही इस प्रदेश के लिए अच्छा है। विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को घर तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। ऐसे हजारों छात्रव्रति लोग हैं जिनको कच्चे मकानों में रहना पड़ता है। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर उन्हें ठंड में हो या बरसात के मौसम में परेशानी में जिंदगी गुजारनी पड़ती है। लेकिन यहां की सरकार और यहां के सत्ताधारी पक्ष के नेताओं को कोई फिक्र नहीं है।