दुर्गापुर औद्योगिक क्षेत्र में पहली बार थर्ड जेंडर प्रतिभा प्रतियोगिता!

इन तृतीय लिंगों के लिए कोई समाज नहीं है। समाज में इन पर फब्तियां कसी जाती हैं। कुछ दिनों में दुर्गा पूजा (Durga Puja) शुरू होने वाला है।‌ सभी लोग परिवार के साथ बाहर निकलेंगे लेकिन तीसरा लिंग!

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Sneha Singh
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Third gender

टोनी आलम, एएनएम न्यूज: तीसरा लिंग (third gender) शब्द सुनने में अच्छा लगता है लेकिन हिजड़ा शब्द ज्यादा दुख देता है। जन्म देने वाली माँ भी मुँह मोड़ लेती है, पिता भी पीछे मुड़कर नहीं देखते। समाज इसे केवल आश्चर्य भरी नजरों से देखता है लेकिन समाज में इसे कोई अपना नहीं मानता। इन तृतीय लिंगों के लिए कोई समाज नहीं है। समाज में इन पर फब्तियां कसी जाती हैं। कुछ दिनों में दुर्गा पूजा (Durga Puja) शुरू होने वाला है।‌ सभी लोग परिवार के साथ बाहर निकलेंगे लेकिन तीसरा लिंग! उनका क्या, उनका कोई परिवार नहीं है और दुर्गा पूजा के साथ वह भी पूजा बाजार में देखने की चीज बन जाते हैं। लेकिन समय भी बदल रहा है मानसिकता में बदलाव आ रहा है। पहले काफी कुछ सुनना पड़ता था लेकिन अब समय बदल गया है। कई लोग अब अपना मुंह नहीं मोड़ते, सेन्ह और जिम्मेदार नागरिकों की तरह सहयोग का हाथ बढ़ाते हैं। 

कथा सरकार ने कहा, "पहले जब मैं पूजा देखने के लिए बाहर जाती थी तो बहुत ताने सुनती थी लेकिन अब उस भयानक माहौल में बहुत कमी आ गयी है, शायद भविष्य में नई पीढ़ी को यह सहन नहीं करना पड़ेगा।" उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि ''कुत्तों की गिनती होती थी, लेकिन हमारी नहीं, वह भी बदल गया है, हमने लड़ाई करके यह हासिल किया है। हमने संसद में जाकर धरना दिया, किसी ने पांच रुपए का बिस्किट खाकर या किसी ने पांच रुपए का केक खाकर दिन बिताया, लेकिन हमने अपना हक लेकर ही छोड़ा और इसका परिणाम अगली पीढ़ी को मिलेगा। अल्बिबा थर्ड जेंडर के साथ एक नई ऋतु यानी टैलेंट कॉम्पिटिशन (talent competition) का आयोजन कर रही है। दुर्गापुर (Durgapur) में 27 दिसंबर को यह  प्रतियोगिता होगी और इसकी मेजबानी अल्बिबा द्वारा की जाएगी। इसमें बीस प्रतियोगी भाग लेंगे। वे विभिन्न जिलों से आकर भाग लेंगे। अल्बीबा संस्था की ओर से अर्पिता सेनगुप्ता (Arpita Sengupta) ने कहा कि समाज के रुढ़िवादियों को यह समझाना होगा कि अन्य ऋतुएं भी समाज का हिस्सा हैं और उनके भी अधिकार हैं।