राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़: जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में आतंकवादियों द्वारा किए गए क्रूर हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत से पूरे देश में गुस्सा उबल रहा है। इस बर्बर हत्या के विरोध में शुक्रवार को पश्चिम बर्दवान के बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के रूपनारायणपुर आमडांगा मोड़ से डाबरमोड़ तक सालानपुर ब्लॉक तृणमूल कांग्रेस ने मौन जुलूस निकाला एवं डाबरमोड़ बस स्टेंड के समीप स्मृति सभा का आयोजन किया। सभा में पीड़ितों की याद में मोमबत्तियां जलाई गईं तथा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
इस दौरान सालानपुर ब्लॉक तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष मोहम्मद अरमान, सह-अध्यक्ष भोला सिंह समेत अन्य कार्यकर्ता व नेता मौजूद थे। मोहम्मद अरमान ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "पहलगांव में हुआ यह नर्कीय नरसंहार मानवता के लिए कलंक है। दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही हो और उनको मौत की सजा दी जाये।" उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन के दौरान आतंकवादी हमलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
उन्होंने दावा किया, "2014 से अब तक लगभग 37 आतंकवादी हमले हुए हैं और ये सभी भाजपा शासन के दौरान हुए। "नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि इस कदम से आतंकवादियों की कमर टूट गई है और अब आतंकवादी हमले दोबारा नहीं होंगे। लेकिन हकीकत में हम क्या देखते हैं? पहलगांव जैसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं?"
उन्होंने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, "हम बड़ी-बड़ी बातें नहीं कर सकते। इस बार सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। आतंकवादियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाना जरूरी है।" बैठक में उपस्थित स्थानीय जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस हमले को भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सांप्रदायिक सद्भाव पर हमला बताया। जुलूस और सभा में भाग लेने वाले स्थानीय निवासियों ने भी पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और ऐसे आतंकवादी कृत्यों की कड़ी निंदा की।
मालूम ही कि बीते 22 अप्रैल को पहलगांव की बैसरन घाटी में हथियारबंद आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस हमले में 26 लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हो गए। भारतीय अधिकारियों ने इस घटना की पहचान एक आतंकवादी हमला के रूप में की है और हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया है। सालानपुर में यह जुलूस और सभा सिर्फ पहलगांव नरसंहार के खिलाफ नहीं है, बल्कि उग्रवाद के खिलाफ एकजुट प्रतिरोध का निर्माण करने का एक प्रयास भी है। तृणमूल नेतृत्व की इस पहल को क्षेत्र में भारी प्रतिक्रिया मिली है और राजनीतिक हलकों में आतंकवादी हमलों को लेकर गहन बहस छिड़ गई है।