एस. एस. अहलूवालिया का आसनसोल से क्या था कनेक्शन?

आसनसोल के जेके नगर में बालको कारखाने में इनके पिताजी कार्य करते थे यहीं पर बालकों के कारखाने में इनका बचपन गुजरा पले बढ़े।

author-image
Ankita Kumari Jaiswara
New Update
Surinder Singh

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: जेके नगर में पले बढ़े सुरिंदर सिंह को आसनसोल लोकसभा सीट (Asansol Lok Sabha Seat) का उम्मीदवार बनाया गया है पहले दुर्गापुर बर्दमान लोक सभा सीट के बिदाई सांसद रहे हैं, आसनसोल के जेके नगर में बालको कारखाने में इनके पिताजी कार्य करते थे यहीं पर बालकों के कारखाने में इनका बचपन गुजरा पले बढ़े। आसनसोल के बीबी कॉलेज में पढ़ाई के साथ सुरिंदर सिंह अहलूवालिया ने कोलकता विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति शुरू की। 70 के दशक में राजनीति की शुरुआत छात्र परिषद से हुई। इसके बाद वह दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व की नजर में आए। 1986 में एक राजनेता के रूप में बिहार से राज्यसभा के सदस्य बने। उस समय तापस बैनर्जी ने राजनीति में प्रवेश किया। तब बहनोई-साला कांग्रेस में थे। एस एस अहलूवालिया को पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। बाद में कांग्रेस नेतृत्व से मत विरोध होने पर वह भाजपा में शामिल हो गए। तापस कांग्रेस में ही रहगय। तापस 1996 में कांग्रेस से आसनसोल के विधायक बने। 1998 में जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ दी और तृणमूल का गठन किया, तब तापस कांग्रेस में ही थे। हालांकि सुरिंदर सिंह तब भाजपा में जा चुके थे। यहां से दोनों की राहें अलग हो गई। तापस 2009 में टीएमसी में शामिल हो गए। जब आसनसोल नगर निगम पर पहली बार तृणमूल का कब्ज़ा हुआ तो ममता बनर्जी ने उन्हें मेयर नियुक्त किया। तापस 2011 और 2016 में आसनसोल दक्षिण से तृणमूल केर विधायक भी बने। 2021 में रानीगंज से उम्मीदवार बनाया गया, वहां भी उन्होंने जीत हासिल की। वहीं बनर्जी परिवार के करीबी लोगों के मुताबिक, भले ही बहनोई और दामाद की अलग- अलग राजनीतिक पार्टियां हैं, लेकिन उनका व्यक्तिगत रिश्ता कभी खत्म नहीं हुआ है।