एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: इस पुरुष प्रधान समाज में आज महिलाएं कंधे से कंधा मिलकर चलने में सक्षम हैं। वही अभी भी कई जगहें ऐसी हैं जहां महिलओं में शिक्षा का आभाव भी महिलाओं की उन्नति में बाधा बना हुआ है। महिलाओं को आज भी वस्तुकरण की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा दावा कई महिला बुद्धिजीवी कर चुकी हैं। सरकार की तमाम योजनाओ के बावजूद महिलाएं आज भी सामाजिक और पारिवारिक तौर पर बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं। और इसी बेड़ी को तोड़ने के प्रयास में लगातार लगी हुई है। आसनसोल (Asansol) कुल्टी (Kulti) थाना अंतर्गत नियामतपुर (Neamatpur) की सुल्ताना बेगम। सुल्ताना बेगम (Sultana Begum) ने कम पढ़ी लिखी लड़कियों और महिलओं को आत्मनिर्भर (self-reliance) बनाने के लिए एक संस्थान बनाया, जहां वह बंगाल के अलावा अन्य राज्यों की कई महिलाओं को विभिन्न कला की सीख देती है जिससे वे अपने पैरों पर खड़ा हो सकती हैं। नियामतपुर रौशन एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी (Neamatpur Roshan Education And Social Welfare Society) से कोई मेकअप में, कोई कुकिंग में तो कोई हस्तशिल्प के जरिए आत्मनिर्भर बन रहा है। दुनिया के एक कोने में बैठकर पूरी दुनिया को तो नहीं बदला जा सकता, लेकिन एक छोटा सा प्रयास तो किया ही जा सकता है। इसी कोशिश में सुल्ताना बेगम ने कितना नाम कमाया, ये जानने के बाद एएनएम न्यूज का कैमरा बेगम तक पहुंचा। ऐसे समाज में जहां शादी आज भी महिलाओं के लिए जीवन का एकमात्र सहारा है, वहां लड़कियों ने सुल्ताना बेगम का हाथ पकड़कर स्वतंत्र होने की कहानी बताई।
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