स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : अमावस्या तिथि पर मां काली की पूजा बंगाल के प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है। काली पूजा विशेष रूप से कार्तिक महीने की अमावस्या के दौरान मनाई जाती है, जो इस साल 31 अक्टूबर की रात को होगी। पूजा का शुभ समय 11:48 मिनट से 1:48 मिनट तक तय किया गया है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात में मां काली की पूजा करते हैं, जहां नारियल, फल, फूल, दूध और मिठाई चढ़ाई जाती है। कई जगहों पर आज भी बलि देने की प्रथा है, जो परंपरा का हिस्सा है।
इस रात लक्ष्मी और गणेश की भी पूजा की जाती है, जिसे दीपान्विता लक्ष्मी पूजा के नाम से जाना जाता है। कई बंगाली परिवार इस रात अपने घरों को रोशन करके माँ लक्ष्मी के आगमन की कामना करते हैं। 3 नवंबर को भाई फोंटा मनाया जाता है, जहाँ बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। तिलक के लिए शुभ समय 1:10 से 3:22 मिनट है। भाई फोंटा के मंत्र और तौर-तरीकों में बंगाली संस्कृति की खास झलक मिलती है।
इसके बाद कई जगहों पर गोवर्धन पूजा भी मनाई जाती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोकुल के लोगों को बचाने की कहानी पर केंद्रित है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में काली पूजा के विभिन्न रीति-रिवाज प्रचलित हैं। इस प्रकार, काली पूजा, दिवाली और भाई फोंटा के त्यौहार बंगाल के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में विशेष महत्व रखते हैं।