यदि काली पूजा के दिन काली पूजा नहीं होती है, तो कौन सी पूजा होती है?

कोलकाता का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल कालीघाट मंदिर मुख्य रूप से माँ काली की पूजा के लिए जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प रस्म काली पूजा के दिन लक्ष्मी पूजा है। यहाँ अलक्षी को विदा करने और लक्ष्मी को घर लाने की प्रथा का विशेष महत्व है।

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Jagganath Mondal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : कोलकाता का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल कालीघाट मंदिर मुख्य रूप से माँ काली की पूजा के लिए जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प रस्म काली पूजा के दिन लक्ष्मी पूजा है। यहाँ अलक्षी को विदा करने और लक्ष्मी को घर लाने की प्रथा का विशेष महत्व है।

कालीघाट के इतिहास के अनुसार, सती के पैर का अंगूठा यहाँ गिरा था, जिससे इस स्थान का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। 18वीं शताब्दी में जब मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया, तो इसमें विभिन्न स्थापत्य शैलियों का मिश्रण देखने को मिला, जिसने ऐतिहासिक और स्थापत्य की दृष्टि से महत्व प्राप्त कर लिया है। मंदिर आम तौर पर आगंतुकों के लिए खुला रहता है, जहाँ हर साल बड़ी संख्या में भक्त पूजा करने आते हैं। 

पूजा के दौरान भक्त यहाँ एकत्रित होते हैं और इस दौरान विशेष कार्यक्रम और आयोजन होते हैं। मंदिर का वातावरण एक ओर आध्यात्मिक और दूसरी ओर सामाजिक मेलजोल का केंद्र बिंदु है। कालीघाट और स्थानीय संस्कृति की यह पूजा कोलकाता की धार्मिक विरासत का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो हर भक्त के मन में एक विशेष स्थान रखती है।