भूतचतुर्दशी .... 14 शक .... क्या है रिश्ता?

 काली पूजा से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार भूत चतुर्दशी है, जिसे बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन 14 सब्ज़ियाँ खाने, 14 दीपक जलाने और 14 बूँदें चढ़ाने की रस्में होती हैं।

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Jagganath Mondal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : काली पूजा से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार भूत चतुर्दशी है, जिसे बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन 14 सब्ज़ियाँ खाने, 14 दीपक जलाने और 14 बूँदें चढ़ाने की रस्में होती हैं। इस प्रथा को क्यों मनाया जाता है, इस बारे में अलग-अलग राय हैं। मानव शरीर के निर्माण में पांच तत्व- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मृत्यु के बाद शरीर पुनः इन्हीं पांच रूपों में विलीन हो जाता है। भूत चतुर्दशी पर इन पंचभूतों का सम्मान किया जाता है।

14 अंक का विशेष महत्व है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह ऊपरी और निचली दुनिया के सात स्तरों का संयोजन है। इन 14 दीपों को जलाकर इन 14 लोगों में निवास करने वाले जीवों को प्रकाश देने की प्रार्थना की जाती है। मानव शरीर के पहलू भी 14 अंकों में शामिल हैं- जैसे, दो आंखें, दो कान, मुंह, गुदा, आदि।

14 शाका के नियम की व्याख्या में कहा गया है कि शाका एक ऐसा तत्व है जो हर जगह उगता है। इसलिए 14 जड़ी-बूटियों के माध्यम से सभी जीवों के लिए प्रार्थना की जाती है कि वे हर जगह अच्छे रहें। इन 14 सब्जियों में ओल, भटपटा, केनू, सौल्फ, शंचे, कलकासुंडे, पल्टा, बेटो, सरसों, नीम, गुलंच, शुशनी, हिंचे और जयंती शामिल हैं। इस प्रकार भूत चतुर्दशी केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन और ब्रह्मांड के बीच संबंधों पर गहन निर्देश देती है।