वो ‘कोयला खदान हादसा’, जानिए 'Mission Raniganj' की असली कहानी

'मिशन रानीगंज' 34 साल पहले हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है। माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल में रानीगंज कोयले की खान में फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई थी।

author-image
Ankita Kumari Jaiswara
New Update
MISSION RANIGANJ

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : ओएमजी 2 के जरिए बॉक्स ऑफिस पर एक बार फिर धमाल मचाने के बाद अक्षय कुमार अब एक बड़े मिशन के साथ सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रहे हैं, जिसकी हर तरफ चर्चा है। हम बात कर रहे हैं अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ की, जो 6 अक्टूबर रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का टाइटल चार बार बदला गया है। कभी ‘कैप्सूल गिल’ तो कभी ‘द ग्रेट इंडियन एस्केप’, फिर ‘द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू’ के बाद ‘मिशन रानीगंज’ फाइनल किया गया।

ये है 'मिशन रानीगंज' की असली कहानी 
'मिशन रानीगंज' 34 साल पहले हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है। माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल में रानीगंज कोयले की खान में फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई थी। तब जसवंत सिंह की तैनाती वहीं थी। करीब 104 फीट गहरी रानीगंज की कोयले की खान में उस दिन करीब 232 मजदूर काम कर रहे थे। कहा जाता है कि रात में अचानक से खदान में पानी का रिसाव शुरू हो गया। जैसे-तैसे ट्रॉली की मदद से 161 मजदूरों को तो कोयले की खान से बाहर सुरक्षित निकाल लिया गया था लेकिन बाकी मजदूर अंदर ही फंसे रहे। लेकिन जसवंत सिंह गिल ने उन्हें निकालने के लिए जी जान लगा दी। उन्होंने फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विशेष तरह का कैप्सूल बनाया। इसकी मदद से मजदूरों को बाहर लाया जा सका और उनकी जान बच गई थी। इसके बाद से ही जसवंत सिंह गिल को 'कैप्सूल गिल' के नाम से पुकारा जाने लगा था।