स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : देश और दुनिया में आपने कई जगह यह देखा होगा कि लोग अपनी कोई विश पूरी करने के लिए नदियों में सिक्के डालते हैं। वैसे तो भारत में नदी के अंदर सिक्का डालना आस्था का विषय माना जाता है। लेकिन आप लोग ये बात नहीं जानते होंगे कि नदी में सिक्का डालने के पीछे सिर्फ आस्था नहीं बल्कि साइंस भी है। आइये जानते है इसके पीछे का साइंस-
1. इस्पाती धातु:
कारण: कॉइन्स में जो धातु होती है, विशेषकर इस्पाती उसे नदी में डालने पर इसमें ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और जल से रब्बा फॉर्म हो सकता है। इससे इस्पाती धातु की अच्छी स्थिति बनी रहती है और सिक्के के साथ-साथ नदी की उम्र भी बढ़ती है।
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2. पीतल की धातु:
कारण: पीतल की धातु जल से खराब नहीं होती है, इसलिए नदी में कॉइन डालने पर यह धातु लंबे समय तक अपनी शुद्धि बनाए रख सकती है। इससे कॉइन का स्वरूप बना रहता है।
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3. आयरन की स्थिति:
कारण: आयरन से बने कॉइन्स को नदी का पानी मिलने से इसमें कॉरोजन कम होता है और उसकी शुद्धि बरकरार रहती है। यह भी कॉइन को अधिक समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है।
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4. बैक्टीरिया का प्रभाव:
कारण: नदी का पानी में मौजूद बैक्टीरिया भी कॉइन को साफ रखने में मदद कर सकते हैं। यह बैक्टीरिया को समृद्धि करने में सक्षम होता है, जिससे वे कॉइन को अच्छी तरह से सफाई रखते हैं।
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