स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: कारगिल का युद्ध (Kargil war) 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी। संजय अपने 11 साथियों के साथ कारगिल में मस्को वैली प्वाइंट (Moscow Valley Point) 4875 के फ्लैट टॉप (flat top) पर तैनात थे। पाकिस्तानी सैनिकों ने ऊंचाई का फायदा उठाते हुए टीम के 8 सैनिकों को घायल कर दिया जबकि 2 शहीद हो गए। कुल्लू जिला के आनी से एक और वीर सैनिक डोला राम की वीर-गाथा भी देश प्रेम के लिए प्रेरित करती है। डोला राम ने अपने 2 साथियों की सहायता से बिना हथियारों के सियाचिन ग्लेशियर की चोटी पर बंकर में छिपे 17 घुसपैठियों को मौत की नींद सुला दिया। डोला राम देश के लिए शहीद होकर भी अमर हो गए।
इसके अलावा कारगिल युद्ध में जब तक ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर (Brigadier Khushhal Thakur) के नाम का जिक्र न हो तब तक यह विजयी गाथा अधूरी है। कर्नल खुशहाल ठाकुर ने खुद कमान संभाली और विजयी रथ को मंजिल तक पहुंचा दिया। कर्नल खुशहाल ठाकुर ने अपनी यूनिट के साथ पहले तोलोलिंग व फिर सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई। भारतीय सैन्य इतिहास में रिकार्ड बनाते हुआ इस विजय अभियान के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने 18 ग्रेनेडियर्ज को 52 वीरता सम्मानों से सम्मानित किया। इसी कमान के ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को मात्र 19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र से नवाजा गया।
कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) को कोई नहीं भुला सकता यदि यह कहा जाए कि विजय दिवस की गाथा का पहला पन्ना यहीं से शुरू होता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हिमाचल के इस सपूत ने कारगिल युद्ध शुरू होने से पहले ही अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी।