डिविजन बेंच के मुताबिक, ममता ने मानहानिकारक टिप्पणी नहीं की

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दो तृणमूल विधायक सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार और पार्टी नेता कुणाल घोष ने अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।

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Ankita Kumari Jaiswara
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बारे में ममता बनर्जी की टिप्पणियों में कुछ भी अपमानजनक नहीं पाया। मामले में न्यायमूर्ति कृष्ण राव की एकल पीठ की प्रारंभिक टिप्पणी यह ​​थी कि राज्यपाल के बारे में कुछ लापरवाह टिप्पणियाँ की गई थीं।

एकल पीठ ने मामले में मुख्यमंत्री सहित चार प्रतिवादियों को 14 अगस्त को अगली सुनवाई तक राज्यपाल के बारे में कोई गलत या अपमानजनक टिप्पणी न करने की चेतावनी भी दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दो तृणमूल विधायक सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार और पार्टी नेता कुणाल घोष ने अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।

न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्न मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति बिस्वरूप मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें राज्यपाल के बारे में यह टिप्पणी अपमानजनक नहीं लगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि राज्यपाल के बारे में उनकी टिप्पणियों पर कोई रोक नहीं है। एकल पीठ इस मामले में सभी संबंधित पक्षों के शपथ पत्र पहले ही भेज चुकी है।

तब हाई कोर्ट ने कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई की जाएगी। इस दिन खंडपीठ ने कहा कि अगर सभी पक्ष अपना हलफनामा दाखिल कर दें तो एकल पीठ मामले की दोबारा सुनवाई करेगी। इससे पहले एकलपीठ में मुख्यमंत्री की ओर से बताया गया कि उन्होंने जो टिप्पणी की है कि 'राजभवन में जो कारनामे चल रहे हैं...' उन्होंने जानबूझकर की है। वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री को भी महिला उत्पीड़न की कई शिकायतें मिली हैं।

मुख्यमंत्री के वकील हलफनामे में यह भी बताने को तैयार थे कि उन्होंने किस संदर्भ में यह टिप्पणी की है। खंडपीठ की सुनवाई में ममता ने साफ किया कि उन्होंने राज्यपाल के प्रति कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है। इसके अलावा वकीलों ने यह भी सवाल उठाया कि इस मामले में उन्हें पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया, जबकि मीडिया में प्रकाशित उनके बयान के आधार पर मामला दर्ज किया गया था।