एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे राजनीति में एक बहुत बड़े बदलाव की ओर इशारा करते हैं। चुनाव नतीजों ने न केवल SC/ST/OBC/EBC/अल्पसंख्यकों के नए जाति समीकरणों का खुलासा किया है, बल्कि राजनीतिक स्पेक्ट्रम में एक नए दलित-बहुजन समीकरण को भी जन्म दिया है। देश की कुल 543 लोकसभा सीट में से 160 सीट ऐसी हैं, जहां दलित मतदाता का असर ज्यादा हैं (दलित बहुल)। इस बार दलितों का साथ NDA को नहीं मिला, तभी तो बीजेपी के नेतृत्व वाले इस गठबंधन को दलित बहुल वाली 37 सीटों का नुकसान हुआ और वो 60 सीटों पर जीती।
वहीं अगर के इंडिया गठबंधन की बात करें, तो दलितों का साथ विपक्ष को खूब अच्छे से मिला है। क्योंकि 95 दलित बहुल सीटों पर विपक्ष के गठबंधन की जीत हुई और उसे इस चुनाव में 55 सीटों की बढ़त मिली है।
बड़ी बात ये है कि उत्तर प्रदेश और देशभर में दलितों की सबसे बड़ी नेता मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का इस बार उनके ही कोर वोटर ने साथ छोड़ दिया और वो ज्यादा से ज्यादा इंडिया गुट की ओर चला गया।