इस अंतिम संस्कार में गोबर के उपलों का होगा उपयोग! राज्य सरकार बना रही है योजना

''गाय का गोबर हिंदू परंपरा में बहुत महत्व रखता है। गाय के गोबर के उपले ईंधन के रूप में काम आ सकते हैं और हम पुरी में मौजूद स्वर्गद्वार में शवों के दाह संस्कार के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।'

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Ankita Kumari Jaiswara
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Swargadwar

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: ओडिशा सरकार पुरी के 'स्वर्गद्वार' श्मशान घाट पर दाह संस्कार के लिए लकड़ी की जगह गोबर के उपलों का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री गोकुलानंद मल्लिक ने यह बात कही है। मलिक ने संवाददाताओं से कहा, ''गाय का गोबर हिंदू परंपरा में बहुत महत्व रखता है। गाय के गोबर के उपले ईंधन के रूप में काम आ सकते हैं और हम पुरी में मौजूद स्वर्गद्वार में शवों के दाह संस्कार के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।'

उन्होंने कहा कि सरकार इस पहल पर स्वर्गद्वार प्रबंधन समिति, सामाजिक संगठनों और गौशाला संचालकों से चर्चा करेगी। मलिक ने यह भी कहा कि उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी और इसमें पांच मंत्री और पांच सचिव शामिल होंगे। उन्होंने आगे कहा, 'यह समिति गाय के गोबर और मूत्र के अतिरिक्त उपयोगों के बारे में खोज करेगी, जिसका उद्देश्य गौ संरक्षण को बढ़ावा देना, पशु आश्रयों का विस्तार करना और डेयरी उत्पादन को बढ़ाना है।'

हालांकि, जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता नरेश दास ने सरकार के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और कहा कि दाह संस्कार के लिए लकड़ी ही एकमात्र उपयुक्त सामग्री है। उन्होंने कहा, ‘हिंदू धर्मग्रंथों में गोबर के उपलों का उल्लेख नहीं है।’ जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवायत विनायक दास महापात्रा ने भी इस पहल का विरोध किया और कहा कि वह सरकार के ऐसे कदम का विरोध करेंगे।