बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला

कोर्ट ने कोडरमा जिला फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें बुजुर्ग के छोटे बेटे को कहा गया था कि वह पिता को गुजारा भत्ता के तौर पर प्रतिमाह 3,000 रुपए दे।

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Jagganath Mondal
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Jharkhand High Court

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण पुत्र का पवित्र कर्तव्य है, इससे वह इनकार नहीं कर सकता। यह बात झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है। सूत्रों के मुताबिक इस अहम टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने कोडरमा जिला फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें बुजुर्ग के छोटे बेटे को कहा गया था कि वह पिता को गुजारा भत्ता के तौर पर प्रतिमाह 3,000 रुपए दे। फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ बुजुर्ग के पुत्र मनोज कुमार उर्फ मनोज साव ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिव्यू पिटिशन फाइल किया था। जस्टिस सुभाष चंद की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को जायज ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।

जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हिंदू धर्म की अवधारणाओं को उद्धृत करते हुए लिखा है, “यदि आपके माता-पिता आश्वस्त हैं तो आप आश्वस्त महसूस करते हैं, यदि वे दुखी हैं तो आप दुखी महसूस करेंगे। पिता तुम्हारा ईश्वर है और मां तुम्हारा स्वरूप है। वे बीज हैं, आप पौधा हैं। आपको अपने माता-पिता की अच्छाई और बुराई दोनों विरासत में मिलती हैं। एक व्यक्ति पर जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं और उसमें पिता और माता का ऋण (आध्यात्मिक) भी शामिल होता है, जिसे हमें चुकाना होता है।”