स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ :पौराणिक कथा के अनुसार, बचपन में सुना होगा कि एक बार हनुमान जी को भूख लगी तो वे सूर्य को फल समझकर उसे खाने के लिए दौड़ पड़े। उसने सूर्य को अवशोषित करने की कोशिश की, जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छा गया। इंद्र को इस बात का पता चलने पर उन्होंने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से उन पर प्रहार किया, जिससे हनुमान जी मूर्छित हो गये। जब पवनदेव को इस बात का पता चला तो वे बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने संपूर्ण ब्रह्मांड की जीवन शक्ति को रोक दिया। इससे पृथ्वी पर भ्रम फैल गया। तब ब्रह्माजी ने पवनदेव को शांत किया और हनुमान जी को जीवनदान दिया। मान्यता है कि चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी को नया जीवन प्राप्त हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।