एएनएम न्यूज़,ब्यूरो : पिछले कुछ हफ्तों में West Bengal में कानून-व्यवस्था पर बोस की टिप्पणियों के कारण राजभवन और नबन्ना के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। राज्यपाल (Governor) ने कहा था कि प्रशासन और राज्य चुनाव आयोग (SEC) को हिंसा को रोकने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए, जिससे लोगों की जान चली गई है। दक्षिण 24-परगना के भांगर में बोस की यात्रा सरकार को रास नहीं आई। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने उन पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया है।
सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को, संयुक्त गोरखा मंच का एक प्रतिनिधिमंडल - अनित थापा और TMC के नेतृत्व वाले भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (Indian Gorkha Democratic Front) का मुकाबला करने के लिए पहाड़ियों में गठित पार्टियों का महागठबंधन राज्यपाल से मिला। उन्होंने कई मांगों को लेकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा और आरोप लगाया कि उनके कुछ उम्मीदवारों को धमकाया गया और पैसे की पेशकश भी की गई ताकि वे अपना नामांकन वापस ले लें।
दार्जिलिंग (Darjeeling) के BJP सांसद राजू बिस्ता ने बताया है कि “हमने राज्यपाल को पहाड़ियों में तृणमूल और उसके सहयोगियों के अत्याचारों से अवगत कराया। हमारे गठबंधन (Mahagatbandhan) के उम्मीदवारों को धमकी दी गई और उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। उनमें से कुछ को रिश्वत देने की कोशिश भी की गई। निवासियों का एक बड़ा वर्ग चिंतित है क्योंकि उन्हें मतदान केंद्रों से दूर रहने के लिए कहा गया है।