स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : पश्चिम बंगाल अपने स्थापना काल से ही भाषाई रूप से विविधता भरा रहा है। बंगाल के कई क्षेत्रों में गैर बांग्ला भाषियों की खासा आबादी है। उत्तर बंगाल, दुर्गापुर, आसनसोल, पुरुलिया, नॉर्थ 24 परगना का जूट बेल्ट और ग्रेटर कोलकाता क्षेत्र के कई इलाके ऐसे हैं, जहां हिन्दी, उर्दू और संथाली बोलने वालों की भरमार है। लेकिन गैर बांग्ला माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले भाषाई अल्पसंख्यक (राज्य के हिंदी, उर्दू, नेपाली, संथाली भाषा बोलने वाले) बांग्ला भाषा ठीक से नहीं सीख पा रहे हैं। इसलिए कि सरकार की ओर से कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
अब राज्य सरकार की नौकरियों में हिंदी, संथाली और उर्दू को खत्म कर बांग्ला भाषा का पेपर अनिवार्य कर दिया गया है। प्रश्नपत्र का स्तर माध्यमिक (10वीं) के समकक्ष रखा गया है। पिछले कई वर्षों से यह नीति धीरे-धीरे क्रमिक रूप से लागू की गई है। पहले पुलिस जवानों की नियुक्ति में बांग्ला को अनिवार्य किया गया। उसके बाद इसे धीरे-धीरे सभी सरकारी नियुक्तियों में अनिवार्य कर दिया गया। 15 मार्च, 2023 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर सरकारी अधिकारियों (सिविल सर्विसेज एग्जीक्यूटिव) की नियुक्ति में भी बांग्ला अनिवार्य कर दिया है।