होली और होली दहन का इतिहास

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होली और होली दहन का इतिहास

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: वैसे तो होली के त्योहार से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं, मगर इनमें सबसे प्रसिद्ध कहानी भक्त प्रहलाद की है। कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर रहा करता था, जिसे अपने बल पर बहुत घमंड था। इस घमंड में हिरण्यकश्यप खुद को ही भगवान मानने लगा था और उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु के घर के पुत्र प्रहलाद का जन्म हुआ, जो कि एक ईश्वर भक्त था। इस बात का पता चलने के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई कठोर ठंड दिए, मगर हर बार भक्त प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ।

सभी तरीकों से तंग आने के बाद हिरण्यकश्यप ने यह बात अपनी बहन को बताई, जिसका नाम होलिका था। होलिका को यह वरदान दिया गया था कि वह आग में कभी भस्म नहीं होगी। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वो प्रहलाद को आग में लेकर बैठ जाए, जिससे प्रहलाद भस्म हो जाए। होलिका ने बिल्कुल वैसा ही किया, मगर प्रहलाद की ईश्वर भक्ति के कारण होलिका भस्म हो गई और प्रहलाद जीवित और सुरक्षित रहे। अच्छी की बुराई पर जीत की खुशी में ही यह त्योहार मनाया जाता है।