जेनरल

gaya dham 2011
पिंडदान का मुहूर्त निकल जाने पर मेरी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी, इसलिए तुम शीघ्र ही मेरा पिंडदान कर दो।" ऐसे में माता सीता ने तुरंत नदी के किनारे मौजूद बालू से पिंड बनाया और फल्गु नदी के साथ वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानते हुए पिंडदान किया।