वक्फ बिल का विवरण

वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। इसे केंद्र सरकार आज लोकसभा में पेश करेगी। इस पर चर्चा होगी और इसे पास कराने की कोशिश होगी। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता

author-image
Jagganath Mondal
New Update
Details of Wakf Bill

Details of Wakf Bill

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। इसे केंद्र सरकार आज लोकसभा में पेश करेगी। इस पर चर्चा होगी और इसे पास कराने की कोशिश होगी। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को सख्त करना है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, कलेक्टर को संपत्ति सर्वे का अधिकार देना, और वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान शामिल है। विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं. उनका कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों को कमजोर करेगा और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने विपक्ष और एनडीए के सहयोगी दलों से इस बिल का विरोध करने की अपील की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का तर्क है कि यह वक्फ बोर्ड बिल न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह संविधान के आर्टिकल 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों भी उल्लंघन करता है। 

भाजपा की एनडीए सरकार तर्क है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाएगा, दुरुपयोग रोकेगा और मुस्लिम महिलाओं व गरीबों को फायदा पहुंचाएगा। इसे पास कराने के लिए पूरी मोदी सरकार एकजुट है. बिहार एनडीए ने भी अब इस बिल का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दल जैसे जेडीयू और टीडीपी बिल के समर्थन में हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष इस बिल के खिलाफ है। विपक्ष ने तो एक बैठक तक बुलाई और लोकसभा में इसके खिलाफ वोट करने की कसम खा ली। कांग्रेस, राजद, टीएमसी, डीएमके, AIMIM, सपा, और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) इसका विरोध कर रहे हैं। आज यानी 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में इसे पेश किया जाएगा। संख्या बल के हिसाब से देखें तो मोदी सरकार की राह आसान नजर आ रही है। एनडीए के पास बहुमत होने से यह पारित हो सकता है, लेकिन राज्यसभा में 115 सांसदों के साथ स्थिति थोड़ी नाजुक है। इस बिल पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे आवंटित किए गए हैं।