यहाँ होली खेली जाती है चिता की राख से

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यहाँ होली खेली जाती है चिता की राख से

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: इस साल भी वाराणसी में रंगभरी एकादशी के दिन श्मशान घाट पर रंगों के साथ चिता की भस्म से होली खेली गई। इस दौरान डमरू, घंटे, घड़ियाल और मृदंग, साउंड सिस्टम से निकलता संगीत जोरों पर रहा। कहते हैं कि चिता की राख से होली खेलने की ये परंपरा करीब 350 साल पुरानी है। इसके पीछे कहानी ये है कि भगवान विश्‍वनाथ विवाह के बाद मां पार्वती का गौना कराकर काशी पहुंचे थे। तब उन्होंने अपने गणों के साथ होली खेली थी। लेकिन, वे श्मशान पर बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच और अघोरियों के साथ होली नहीं खेल पाए थे। तब उन्‍होंने रंगभरी एकादशी के दिन उनके साथ चिता की भस्‍म से होली खेली थी. आज भी यहां ये परंपरा जारी है और इसकी शुरुआत हरिश्चंद्र घाट पर महाश्मशान नाथ की आरती से होती है।