स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : बहुत से लोगों को पहाड़ी पर चढ़ने पर सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके बावजूद पहाड़ के प्रेमी समुद्र तल से हजारों फीट ऊपर घूमने जाते हैं। साथ ही जो लोग ट्रेकिंग या पर्वतारोही करते हैं वे सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को जीतने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में भागते हैं। पहाड़ी इलाकों में सिर्फ ऑक्सीजन की ही दिक्कत होती है, इसलिए पर्वतारोही अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर रखते हैं। लेकिन इस बार चंदननगर की बेटी पियाली बसाक एक मिसाल कायम करना चाहती हैं कि बिना पूरक ऑक्सीजन के दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर विजय पाना संभव है। इसलिए वह 3 अप्रैल को मिथिला एक्सप्रेस से एवरेस्ट के लिए रवाना हुईं। हालांकि, दूसरों के विपरीत , उसके पास पूरक ऑक्सीजन नहीं थी। इस बार वह पूरक O2 के बिना विश्व एवरेस्ट 8843 मीटर की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए दृढ़ है। क्या वह सफल होगी?