मनमोहन सरकार की ये 5 बड़ी योजनाएं

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Harmeet
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मनमोहन सरकार की ये 5 बड़ी योजनाएं

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: हर सरकार योजनाएं बनाती है लेकिन कोई योजना हिट हो जाती है तो कई योजनाओं का नामलेवा नहीं बचता। आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने के लिए यूपीए-1 और यूपीए-2 में कई योजनाएं लागू की गई थीं। मनमोहन सरकार के दौरान कई बेहतरीन योजनाएं शुरू हुई थीं, जो आज भी चल रही हैं। योजनाओं का सीधा आम आदमी को मिल रहा है। जानिए उन पांच योजनाओं के बारे में जिसने लाभान्वितों की जिंदगी बदल दी।


1. मनरेगा

बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए मनमोहन सरकार रोजगार गारंटी योजना लेकर आई थी, जिसने देश को नई ऊर्जा दी। मनमोहन सरकार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनेरगा के तहत साल भर में 100 दिनों का रोजगार और हर दिन 100 रुपये न्यूनतम मजदूरी तय की गई। यह योजना 2 फरवरी 2006 को 200 जिलों में शुरू की गई, 1 अप्रैल 2008 तक इसे भारत के सभी 593 जिलों में इसे लागू कर दिया गया। 2006-2007 में इस पर 110 अरब रुपये खर्च हुए। जो 2009-2010 में बढ़कर 391 अरब रुपये हो गए थे। इस योजना के लिए 2018-19 में 61,084 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।


2. खाद्य सुरक्षा कानून

देश में भुखमरी आज भी बड़ी चुनौती है, यूपीए सरकार में 10 सितम्‍बर, 2013 को इससे निपटने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया। इस स्कीम के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में 75 फीसदी तक और शहरी क्षेत्रों की 50 फीसदी तक की आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ते में अनाज मिल रहा है। मनमोहन सरकार ने खाद्य सुरक्षा बिल में 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल और 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गेहूं और बाकी अनाजों को 1 रुपये प्रति किलो के हिसाब से देने का प्रावधान किया, जिसका आज भी लोगों को फायदा मिल रहा है।


3. डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम

मनमोहन सरकार ने 1 जनवरी, 2013 को सब्सिडी को गलत हाथों में जाने से बचाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम की शुरुआत की थी। इसका मुख्य लक्ष्य पारदर्शिता बढ़ाते हुए सब्सिडी वितरण में होने वाली धांधलियों को रोकना था। शुरुआत में देश के 43 जिलों में लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में सब्सिडी की रकम पहुंचाई गई। डीबीटी का उल्‍लेख पहली बार तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2011-12 के अपने बजट भाषण में किया था। उस समय उन्‍होंने कहा था कि सरकार केरोसीन, एलपीजी और उर्वरकों के लिए नकद सब्सिडी का सीधे भुगतान करना चाहती है। मौजूदा समय में यह स्कीम सरकार की रीढ़ बन चुकी है। आज केंद्र सरकार की 42 में से 26 योजनाओं में डीबीटी का प्रयोग किया जा रहा है। मोदी सरकार ने इसे व्यापक बनाने का फैसला लिया है। डीबीटी योजना का मुख्य स्तंभ आधार नंबर है। इसके व्यापक विस्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली है।



4. शिक्षा का अधिकार

शिक्षा का अधिकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ही देन है. मनमोहन सरकार के दौरान ही देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा आधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह पूरे देश में अप्रैल 2010 से लागू किया गया है। शिक्षा में सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम था। इस योजना के लागू होते ही शिक्षा में एक बड़ा बदलाव दिखा। फीस के अभाव में जो अभिभावक अपने बच्चों स्कूल नहीं भेज पा रहे थे, उनके लिए यह काननू बड़ा सहारा साबित हो रहा है।


5. सूचना का अधिकार

आज आम आदमी के पास के सूचना का अधिकार एक बड़ा हथियार है। यह मनमोहन सरकार की देन है। यूपीए-1 के दौरान साल 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि किस प्रकार नागरिक सरकार से सूचना मांगेंगे और किस प्रकार सरकार जवाबदेह होगी।