स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में मां भुवनेश्वरी का एक मन्दिर है। आसपास के इलाकों में इस मंदिर को मां भुइंया रानी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की दूर-दूर तक बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की मिट्टी लोगों को यहां आने के लिए विवश करती है। कहा जाता है कि इस मंदिर की मिट्टी बेहद शक्तिशाली है। उसे शरीर पर लगाने भर से गठिया और वात से जुड़े अन्य रोग छूमंतर हो जाते हैं। आषाढ़ मास के रविवार के दिन यहां विशेष रूप से भक्तों का तांता लगता है। यहां जानिए मंदिर से जुड़ी खास बातें। मां भुवनेश्वरी देवी मंदिर में इन दिनों भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है। मंदिर के नाम पर यहां नीम के पेड़ के नीचे एक चबूतरा बना हुआ है और चबूतरे पर कुछ मूर्तियां रखी हुई हैं।
लेकिन भक्तों की आस्था यहां की मिट्टी से जुड़ी है। मंदिर के पुजारी संतोष प्रजापति की मानें सैकड़ों साल पहले ये स्थान झीलों और झाड़ियों से भरा था। यहां एक ब्राह्मण भयंकर वात रोग से पीड़ित होकर आत्म हत्या करने के लिए आया, तो उसने देखा कि रात को एक गाय जंगल मसे यहां आयी और एक स्थान पर अपना सारा दूध निकाल कर चली गई। ये देखकर वो ब्राह्मण सोच में पड़ गया और कब उसकी आंख लग गई, वो जान ही नहीं पाया। सोते समय उसे वहां सपना आया कि हे ब्राह्मण तुम आत्महत्या न करो। इस सूरजकुण्ड नामक तालाब में स्नान करो, जहां पर गाय अपना दूध छोड़ कर गई है। वहां की मिटटी को अपने शरीर में लगा लो। इससे तुम्हारा रोग ठीक हो जाएगा। सुबह उठकर ब्राह्मण ने वैसा ही किया, जैसा सपने में बताया गया था। इससे उसका रोग ठीक हो गया।
तब से इस मंदिर में वात रोग से पीड़ित मरीज आते हैं और यहां की मिट्टी को अपने तन पर लगाते हैं। मां भुवनेश्वरी देवी के इस मंदिर में आषाढ़ मास के रविवार की विशेष मान्यता है।