जानिए, हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

author-image
Harmeet
New Update
जानिए, हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: जहां एक तरफ हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है, वही दूसरी तरफ हरियाली अमावस्या के वैज्ञानिक दृष्टिकोण में भी महत्व है।

हरियाली अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से महत्व : नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्व है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्पदोष,पितृदोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत या रुद्राभिषेक करें तो उन्हें लाभ होगा। इस दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है। श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध,दान एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से प्राप्ति होती है। हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हरियाली अमावस्या के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्व : हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व और धरती को हरी-भरी बनाने का संदेश देती है। पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार है जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं,पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं। हरियाली अमावस्या के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात की जाए तो हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान केंद्रित करती है। जलवायु परिवर्तन के कारण सृष्टि में जो भी उथल पुथल हो रही है उसको वृक्षारोपण के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है। इसीलिए यह अमावस्या महज एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि पृथ्वी को हरी-भरी बनाने का संकल्प पर्व भी है।