बंदरों, कुत्तों और चिम्पैंजियों का बड़ा योगदान

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Harmeet
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बंदरों, कुत्तों और चिम्पैंजियों का बड़ा योगदान

एएनएम न्यूज़, स्टाफ रिपोर्टर : अंतरिक्ष में इंसान के कदम रखने का स्वर्णिम इतिहास तो हम सभी जानते है।लेकिन इंसानों से पहले जानवरों के तौर पर कई अंतरिक्षयात्री स्पेस का चक्कर लगा चुके हैं। इन्हें स्पेस एजेंसी नासा ने भेजा था। आज की एडवांस स्पेस टेक्नोलॉजी में इन बंदरों, कुत्तों और चिम्पैंजियों का बड़ा योगदान है। 1960 के दशक में नासा ने अपने एक प्रोग्राम के तहत बंदरों और चिम्पैंजियों को स्पेस में भेजा था। इस प्रोजेक्ट का नाम मरक्यूरी स्पेस प्रोजेक्ट था। इसके तहत चिम्पैंजी को पूरी तैयारी के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया था। आज हम आपको बताएंगे कि इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किए गए हैम नाम के चिम्पैंजी के बारे में, जो अंतरिक्ष तक गया और वापस आया। आखिर इसके बाद वो ज़िंदा रह पाया या फिर नहीं, ये पूरी कहानी हम आपको सुनाएंगे।



चिम्पैंजी को बंदरों की फैमिली का सबसे होशियार सदस्य माना जाता है, जिसका 98 फीसदी डीएनए इंसानों से मिलता-जुलता है। मरक्यूरी प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कैमरून से हैम नाम के एक चिम्पैंजी को चुना था। उसे ट्रीट और पनिशमेंट की टेक्निक का इस्तेमाल करके लिवर खींचना और ऑपरेट करना सिखाया गया। उसने साल 1961 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी और 6 मिनट तक वहां रहा। 1983 में एक पिंजरे के अंदर ही 25 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।