स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: ब्रह्माण्ड के लगभग सभी पिंड या तो तारे हैं या तारों से बने हैं। इनमें एक अनोखा पिंड है न्यूट्रॉन तारा। तारों के जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब तारे का क्रोड़ अपने ही गुरुत्व में सिमट जाता है तब न्यूट्रॉन तारे की उत्पत्ति होती है। खगोलविदों ने पहली है अब तक का ज्ञात सबसे भारी न्यूट्रॉन तारा खोजा है। यह इतनी तेजी से घूम रहा है कि इसने अपने साथी तारे को लगभग पूरी तरह से निगल लिया है और अब तक का सबसे भारी न्यूटॉन तारा बन गया है। वैज्ञानिकों ने इस तारे को ब्लैक विडो नाम दिया है। पदार्थ के सिकुड़ने का नतीजा न्यूट्रॉन तारे अपने अनोखे स्वरूप के लिए जाने जाते हैं। इनका भार सूर्य केभार से 1.3 से 2.5 गुना ज्यादा होता है। अगर तारे के मरने के बाद सिकुड़ते समय उसका भार एक निश्चित सीमा से ज्यादा हो तो वह न्यूट्रॉन तारे की जगह ब्लैक होल बन जाता है। न्यूट्रॉन तारों का आकार एक शहर के आकार के गोले जितना होता है जो करीब 20 किलोमीटर बड़ा होता है।